सिंगोली(निखिल रजनाती)। संसार में वाणी का प्रभाव बहुत देखा जाता है इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने हित-मित व प्रिय बोलने का उपदेश दिया।भगवान की वाणी का एक भी शब्द सुनकर जिसने ग्रहण कर लिया उसका कल्याण अवश्य होता है।उक्त सन्देश नगर के पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षा प्राप्त व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 17 मई बुधवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा।मुनिश्री ने बताया कि सिंह जैसे कुल और हिंसक पशु ने भी मुनियों के उपदेश को सुनकर क्रुरता व हिंसा को छोड़ दिया बाद में वही सिंह नरसिंह भगवान महावीर के रूप में आया जिन्होंने जीव मात्र के प्रति दया,करुणा और मैत्री का संदेश दिया।सिंह ने वाणी को सुनकर उसे आचरण रूप उतारा तो उसका कल्याण हो गया परंतु मनुष्य धर्म की बात को सुनता तो है पर आचरण रूप नहीं लाता है वह धर्म को कुल्ला करके थूक देता है इसलिए कल्याण और सुख को प्राप्त नहीं होता है।आत्मकल्याण हेतु धर्म को भगवान की वाणी को आचरण में लाना आवश्यक है।वहीं मुनि श्री दर्शितसागर जी ने भी कहा कि बच्चों में धर्म के संस्कार डालने पर ही वे भावी श्रावक और संस्कारित नागरिक बन सकते हैं, लोकिक शिक्षा के साथ धर्म व संस्कृति के संस्कार भी अनिवार्य है और बच्चों को ये संस्कार पाठशाला के माध्यम से ही प्राप्त हो सकते हैं इस हेतु आपको अपने बच्चों को संस्कार पाठशाला अवश्य भेजना चाहिए। मुनिश्री के सानिध्य में गुरुवार को प्रातःकाल शांतिनाथ भगवान का तप,ज्ञान,मोक्ष कल्याणक महोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित रहेंगे।