सिंगोली(निखिल रजनाती)। नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पर विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षा प्राप्त व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ने शांतिनाथ भगवान के जन्म तक मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में शांति की प्राप्ति सब चाहते हैं,शांति प्राप्ति के लिए भगवान के बताए मार्ग पर चलने की जरूरत है।भगवान शांतिनाथ ने चक्रवर्ती व कामदेव पद प्राप्त करने के बाद भी आत्मिक शांति के सब सांसारिक पदों को त्याग कर वैराग्य का मार्ग अपनाया, आज संसारी जीव पदों के पीछे दौड़ रहा है और पद की प्राप्ति के लिए आपस में लड़ रहा है।यह पद और प्रतिष्ठा की लड़ाई ही विश्व में अशांति का कारण बन रही है जो इससे से ऊपर उठकर आत्म कल्याण के लिए साधना करता है वही जीवन में सुख शांति की प्राप्ति कर पता है।प्रतिदिन विश्व कल्याण में शांति की भावना से शांतिधारा करते हैं उसके लिए बाहरी क्रियाओं के साथ आंतरिक परिणामों में शांति की आवश्यकता होती है।मुनि श्री दर्शितसागर जी महाराज ने भी कहा कि आहार दान के द्वारा प्राप्त पुण्य से राजा श्रीषेण ने इतना पुरुषार्थ किया कि भगवान शांतिनाथ के रूप में जन्म लेकर जनकल्याण का मार्ग बताकर सारस्वत सुख प्राप्त हो गया है इसलिए प्रत्येक भव्य जीव को दान को अपने जीवन का अनिवार्य अंग बनाना चाहिए वहीं इस अवसर मुनिश्री के सानिध्य में 18 मई गुरुवार को प्रातःकाल श्रीजी का अभिषेक,शान्तिधारा व शान्तिनाथ भगवान के जन्म,तप मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर भगवान को निर्वाण लाडू चढाया गया व संगीतमय भजनों के साथ शान्तिनाथ मण्डल विधान का आयोजन हुआ जबकि आगामी दिनों में मुनिश्री के सानिध्य में श्रुतपंचमी महोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित रहेंगे।