श्रुत पंचमी महोत्सव पर निकलेगी माँ जिनवाणी की भव्य शोभायात्रा
सिंगोली(निखिल रजनाती)। जैन धर्म में व्यक्ति को नहीं बल्कि गुणों को प्रधानता दी जाती है।जैन धर्म के सबसे बड़े मंत्र णमोकार मंत्र में किसी व्यक्ति विशेष को प्रणाम नहीं किया गया है वहाँ गुणों को धारण करने वाले उन सभी को नमस्कार किया है।जैन धर्म में भगवान की पहचान करने हेतु सर्वज्ञता वीतरागता और हितोपदेशिता यह तीन गुण बताए हैं जिसमें ये तीनों गुण विद्यमान हो वे भगवान के रुप में पूज्यनीय माने गए हैं।यह बात श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर विराजमान परम पूज्य आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज से शिक्षा प्राप्त व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।उन्होंने कहा कि देव,शास्त्र और गुरु तीनों गुणों को धारण करने वाले होने से मंगल रूप है उनका नाम स्मरण करने से कष्ट व बाधाएं नष्ट हो जाते हैं।जिन्होंने भी भगवान का नाम लिया चाहे वह किसी भी रूप में हो वह नाम लेना ही मंगलकारी हो जाता है प्रभु नाम संसार सागर से पार लगाने वाला है वहीं मुनिश्री दर्शितसागर ने कहा कि जैन दर्शन पूर्ण रूप से वैज्ञानिक दर्शन है उसे जीवन में स्वीकार करने वाला कभी भी संसार में भटक नहीं सकता है।वैज्ञानिक जिन बातों को आज सिद्ध कर रहे या कह रहे हैं वे बातें हजारों लाखों वर्षों पूर्व ही तीर्थंकरों ने अपने उपदेश मे कह दी थी।मुनिश्री के सानिध्य में 23 मई वमंगलवार को प्रातः काल श्रीजी का अभिषेक,शांतिधारा हुई व प्रवचन के बाद धर्मनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर निर्माण लड्डू चढ़ाया गया।मुनि श्री ससंघ के सानिध्य में श्रुत पंचमी महोत्सव बुधवार को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा जिसके तहत प्रातः काल 6 बजे श्रीजी का अभिषेक व शांतिधारा, 7 बजे माँ जिनवाणी की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जो नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए वापस मंदिर जी पहुंचेगी जहाँ पर चित्र अनावरण,दीप प्रज्वलन व मुनिश्री के सानिध्य में विधान पूजन होगी जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन बैठकर पुण्य अर्जन करेंगे।