नीमच। ईदुल-अजहा बकरीद का त्योहार मुस्लिम समुदाय द्वरा आज गुरुवार को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया।इस दौरान शहर काजी द्वरा ईदगाह में सुबह 8:00 बजे ईदुल-अजहा की नमाज़ अदा कराई गई। शहर काजी सद्दाम हुसैन अत्तारी ने बताया की ईदुल-अजहा बकरीद के अवसर पर मुस्लिम समुदाय ईदगाह पर नमाज अदा की गई है इसके साथ ही शहर की अन्य मस्जिदों मैं अपने अपने समय के अनुसार नमाज अदा की गई।शहर काजी अत्तारी ने सभी जिले वासियों को ईदुल अजहा की मुबारकबाद भी पेश की।आज गुरुवार 29 जून को देशभर में ईद-उल-अज़हा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसे बकरीद भी कहा जाता है। आज के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज़ अदा कर बकरे की कुर्बानी देते है।इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, इस्लाम का 12 महीना धूल हिज्जा होता है और इसी में बकरीद का पर्व मनाया जाता है। बकरीद को कुर्बानी के रूप में मनाया जाता है।इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस्लाम धर्म के हज़रत इब्राहीम अल्लाह के पैगंबर थे, जो अधिक उम्र में पिता बने थे। वह अपने इकलौते बेटे इस्माइल को दिलो-जान से चाहते थे। एक बार अल्लाह ने हजरत साहब की इम्तिहान लेने का सोचा फिर उन्होंने पैगंबर हज़रत को ख्वाब में अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने को कहा। ऐसे में हज़रत साहब ने सोचा कि आखिर ऐसी कोई सी चीज है, जो मुझे सबसे प्यारी है। ऐसे में उन्हें अपने बेटे इस्माइल का ख्याल आया। उन्होंने अल्लाह की बात का ख्याल रखकर अपने ही बेटे की कुर्बानी देने का मन बना लिया। जब हज़रत साहब अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए जा रहे थे, तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला और उनसे बोला कि आप अपने बेटे की बजाय किसी जानवर की कुर्बानी दे सकते हैं। लेकिन उन्होंने खुद से कहा कि ये तो अल्लाह के साथ धोखा होगा। इसलिए उन्होंने अपने बेटे को ही कुर्बानी देने का मन बना लिया था। हज़रत साहब अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे, लेकिन अल्लाह के सामने वह झुक गए। बेटे को अपने सामने मारता नहीं देख सकते थे। इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि बेटे का मोह अल्लाह की राह में बाधा न बने। कुर्बानी के बाद जब उन्होंने जब अपनी आंख से पट्टी हटाई तो देखकर हैरान रह गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा था और उसकी जगह एक डुम्बा (एक प्रकार का बकरा) कुर्बान हो गया है। उसके बाद से ही बकरे की कुर्बानी देने का चलन शुरू हुआ।जिसे मुस्लिम समुदाय ईदुल-अजहा बकरीद के रूप में मनाता है।