सिंगोली(निखिल रजनाती)।सिंगोली नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षा प्राप्त व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के सानिध्य में 03 जुलाई सोमवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव हर्षोल्लास व बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया।प्रातःकाल श्रीजी का अभिषेक शान्ति धारा व गुरु पुजन आदि कार्यक्रम हुए। मंगलाचरण सुधा बगड़ा द्वारा जबकि चित्र अनावरण करने का सौभाग्य ज्ञानचन्द,लाभचंद,राजेशकुमार विवेक ठोला परिवार को प्राप्त हुआ व शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य धनगाँव व सिंगोली बालिकाओं को प्राप्त हुआ व पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य अतिशय ठोला,संस्कार ठोला,बाबु साकुण्या व समाजजनों को प्राप्त हुआ वहीं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमानसागर जी महाराज का संगीतमय पूजन विधान महिलाओं द्वारा अष्टद्रव्य की सुन्दर-सुन्दर थाली सजाकर लाई गई व विज्ञानवर्धिनी महिला मण्डल,सुजान जाग्रति महिला मण्डल,दर्शित बालिका मण्डल,युवा परिषद चातुर्मास कमेटी द्वारा व बाहर से पधारे हुए समाजजन द्वारा अर्ध्य समर्पण गुरु चरणों में किया जबकि भजन गायक अभिषेक ठोला व सुभम ठोला द्वारा प्रस्तुत भजनों के साथ सभी समाजजन भक्ति की भाव के साथ झुम उठे।इस अवसर पर मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सच्चे गुरु की प्राप्ति दुर्लभ है और मिल जाए तो उनकी कृपा प्राप्त होना और भी दुर्लभ है।गुरु का जीवन में उतना ही महत्व है जितना स्वासोच्छवास का है,गुरु की कृपा और सानिध्य अज्ञान को हरने वाला है।गुरु नाम ही ज्ञानार्जन के लिए पर्याप्त है फिर यदि उनका साक्षात सानिध्य मिल जाए तो जीवन में परिवर्तन आ जाता है और उन्नति का पथ प्राप्त हो जाता है।जीवन में एक सच्चा गुरु अवश्य होना चाहिए जैसे पारिवारिक चिकित्सक होता है वैसै ही गुरु पाप,कषाय रुपी रोगों से दूर रखने का उपाय बताकर आपकी आत्मा का ध्यान रखता है।लोकिक गुरु संसार में धन कमाने की शिक्षा देते हैं पर परमार्थिक गुरु संसार से छुटने की शिक्षा देते है,माता पिता तो जीवन निर्वाह करने का मार्ग बता सकते है परन्तु गुरु जीवन निर्माण कर निर्वाण प्राप्ति का मार्ग बताते है।गुरु कुम्भकार के समान शिष्य को कुट पीट कर उसमें से दुर्गुण रूपी कंकड़ पत्थर को निकाल देता है,गुरू प्रकाश स्तम्भ के समान दूर तक ज्ञान का प्रकाशकर शिष्यों का मार्ग दर्शन करते है।गुरु का गुणगान शब्दों में करना असम्भव है।मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज ने कहा चातुर्मास में श्रावकों को छोटे छोटे नियमों का पालन करना चाहिए जिससे लोगों में धर्म की प्रभावना बढ़ सके।पारसकुमार,अन्कितकुमार जिनांश हरसोला परिवार की तरफ से प्रभावना वितरित की गई।इस अवसर पर सिंगोली नगर के साथ ही धनगाँव, थडोद,बोराव,झांतला,चांदजी की खेड़ी,बिजोलिया,चेची,कांकरिया तलाई सहित कई जगहों के समाजजन उपस्थित थे।