नीमच। भील प्रदेश की मांग को लेकर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा संगठन द्वरा प्रदेश के 50 जिलों व 200 ब्लाकों में एक साथ महामहिम राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री गृहमंत्री एव जिला कलेक्टर के नाम 10 पत्रिय ज्ञापन सोपे है जिसमे भारत के आदिवासी समुदाय से जुड़े ज्वलत मुद्दे एवं संविधान के अनुच्छेद 3(क, ख, ग, घ, ड) के तहत पश्चिमी भारत के भील आदिवासी सांस्कृतिक क्षेत्र के चार राज्यों का सीमाई इलाका एवं एक केन्द्र शासित प्रदेश को जोड़कर भील प्रदेश राज्य गठन करने की मांग के साथ बताया गया कि भारतीय उपमहाद्वीप में 20 लाख साल पहले से रह रहे आखेटक खाद्य संग्रह मानव समूह के वंशज आदिवासी है।पुरातात्विक स्थल विन्ध्याचल-सातपुडा-अरावली पर्वतमाला में क्रमश: बेलन नदी घाटी भीमवेटका एव साबरती नदी मिले है।भारत की इस मूल संस्क्रति मानव समूह के संरक्षण के लिए भील प्रदेश राज्य गठन आवश्यक है। भारत भूमि की मूल मिट्टी की मूल उपज भील आदिवासी है। पश्चिमी भारत के इस इलाके में ईरानी, यूनानी, पार्थियन, शक, कुषाण, हूणे, अरब, तुर्क, मुगल विदेशीयों के वंशज भी आकर बसे जिससे भारत की मूल संस्कृति, सभ्यता, बोली. धर्म के अस्तित्व की रक्षार्थ भील सांस्कृतिक-भाषाई ऐतिहासिक क्षेत्र को जोड़कर भीलप्रदेश राज्य गठन होना चाहिए था, मगर आजादी के बाद भी नहीं हुआ और चार राज्यों में पूरा इलाका बांट दिया गया। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश की विधानसभाओं में भीलप्रदेश राज्य का प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भिजवाया जाए।भील प्रदेश बनाए जाने को लेकर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने करीब 10 पत्रिय मांग ,सुझाव व कारण विस्तार से बताए गए है।