सिंगोली(निखिल रजनाती)। विश्व के सभी प्राणियों के सुख शान्ति की कामना से भगवान की शान्तिधारा की जाती है।शान्तिधारा में जिन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है वह विश्व शान्ति के लिए होते है।विश्व की शान्ति में हमारी भी शान्ति निहित है।जो भगवान की शान्तिधारा करता है उसका पूरा दिन शान्तिमय व्यतीत होता है।उक्त बात सिंगोली नगर में चातुर्मासरत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षित और आचार्य श्री वर्धमानसागर जी से दीक्षित मुनिश्री सुप्रभ सागर जी ने 25 जुलाई मंगलवार को प्रातःकालीन स्वाध्याय सभा में कही।मुनि श्री ने आगे बताया कि अगर आप अपना पूरा दिन अच्छा व्यतीत करना चाहते हो तो सुबह उठते ही सबसे पहले नमोकार महामंत्र का जाप करो और उसके बाद अपने दोनों हथेलियों को जोड़कर उसे देखते हुए उनमें चोबीस तीर्थकरों की कल्पना कर उन्हें स्मरण करो।आजकल अधिकतर लोग उठते ही सबसे पहले मोबाइल देखते है इसलिए उनका पूरा दिन मोबाइल चलाने में व्यर्थ चला जाता है।प्रातःकाल उठकर भगवान का स्मरण और दर्शन पूरे दिन को मंगलमय बनाता है और भगवान का स्पृशन और अभिषेक पूरे दिन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।जो श्रीजी का स्मरण दर्शन,स्पर्शन नहीं करता है उसका जीवन भारयुक्त है।जीवन में सुख शान्ति की भावना है तो पुर्ण भक्ति भाव से जिनेन्द्र भगवान का दर्शन,स्पर्शन आदि करना चाहिए।इस दौरान मुनि श्री दर्शित सागर जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन हीरे की कनिका के समान है।जैसे हीरे की छोटी सी कणिका रेत में गिर उसका मिलना मुश्किल है। वैसे ही मानव जीवन भी एक हाथ ने निकाल जाएगा (पुन: उसे प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।वर्तमान व्यक्ति का जीवन,इन्द्रियविषय की ओर ही जा रहा है इसलिए कहा जाता कि श्रीजी की शरण प्राप्त करो तो सुख अवश्य मिलेगा।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।