logo

वृक्षों में चन्दन का वृक्ष, पक्षियों में गरुड़ और पशुओं में सिंह श्रेष्ठ है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)।चार गतियों में मनुष्य गति सबसे अच्छी मानी गई है।आचार्यों ने कहा है कि वृक्षों में चन्दन का वृक्ष,पक्षियों में गरुड,पशुओं में सिंह श्रेष्ठ है,उसी प्रकार गतियों में मनुष्य गति श्रेष्ठ है।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षित व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 11 अगस्त शुक्रवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनि श्री ने कहा कि इस मनुष्य गति की सार्थकता भगवान की शरण प्राप्त करने से ही हो सकती है जिसने भगवान की शरण प्राप्त की है उसका मनुष्य भव धन्य हो गया है।मनुष्य भव प्राप्त होना दुर्लभ है और जिसने इस भव को प्राप्त करके भी इसे भगवतग्भक्ति में नहीं लगाया,उसका मनुष्य भव प्राप्त करना व्यर्थ चला गया।मनुष्य भव को इतना महत्व क्यों दिया जाता है तो आचार्यो ने कहा है कि मनुष्य भव जंक्शन के समान है,यहाँ से चारों गतियों में जा सकते है तथा तप साधना से गति रहित अर्थात् सिद्ध अवस्था को प्राप्त कर सकते है।मनुष्य चाहे तो सातवें नरक में जा सकता है या भरत क्षेत्र के आर्य खण्ड में जन्म लेकर मोक्ष की साधना भी कर सकता है।जिसने अपना संपूर्ण जीवन भगवान् की सेवा-पूजा में लगा दिया वह स्वर्ग के सुख भोगकर मनुष्य भव प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करता है।जिसे भगवान् की सेवा पूजा करने का अवसर प्राप्त होता है वह सौभाग्यशाली नहीं अपितु महाभाग्यशाली कहलाता है।इस दौरान मुनिश्री दर्शित सागरजी महाराज ने कहा कि मानव जीवन में संस्कारों का प्राप्त होना दुर्लभ होता है।बचपन से ही माँ संस्कार देने का कार्य करती है।बचपन से जो संस्कार पडते है,आगामी भवों में वह मुक्ति में कारण बनते है इसलिए आगामी 27 अगस्त रविवार को जैनत्व (उपनयन) संरकार विधि महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है जिसमें  समाज के 7.6 वर्ष के ऊपर के बालकों के लिए संस्कारित किया जायेगा।जैनत्व उपनयन संस्कार विधि महोत्सव का आयोजन मेवाड़ प्रान्त में वहीं सिंगोली नगर में प्रथम बार मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में होने जा रहा है।समाज के सभी लोगों को अपने बच्चों को भी इस महोत्सव के लिए तैयार करना चाहिए।

Top