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संस्कारों के कारण ही पाण्डवों ने सहनशीलता सीखी और हर बार कौरवों को माफ किया - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)। पाषाण की मूर्ति में मंत्रों का संस्कार उसे परमात्मा का रूप प्रदान कर देता है और वह ठोकर खाने वाला पाषाण भी पूज्य बन जाता है।संस्कार वह कार है जो इसमें बैठता है,वह व्यसन रूपी गढ्ढों में तथा पाप रूपी दल- दल में नहीं गिर सकता है।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षित व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 13 अगस्त रविवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनि श्री ने कहा कि बिना संस्कार के अन्न भी खाने योग्य नहीं बनता है उसी प्रकार मानव भी बिना संस्कार प्राप्त किए दिव्य ज्ञान तथा परम सुख का स्वामी नहीं बन सकता है।संस्कारित व्यक्ति दुर्गुणों और कुसंगति से बच जाता है।मिट्टी अग्नि से संस्कारित होकर पानी धारण करने की क्षमता को प्राप्त कर लेती है वैसे एक बालक संस्कारों से संस्कारित होकर परमात्मा बनने की क्षमता प्राप्त कर लेता है।वर्तमान के मशीनीयुग में भगवान् के द्वारा प्रतिपादित तथा ऋषि मुनियों द्वारा बताई संस्कार विधि लुप्त होती जा रही है।इसे इस संस्कार विधि को लोग क्रिया-काण्ड कह कर छोड़ रहे हैं। इसी कारण आज की पीढ़ी धर्म,देश समाज से दूर हो रही है।संस्कारों के कारण ही पाण्डवों ने सहनशीलता सीखी और हर बार कौरवों को माफ किया।संस्कारों के कारण ही श्रीरामचन्द्रजी ने पिता के वचनों की रक्षा केलिए राज्य को त्याग कर उससे दूर जाना स्वीकार क्रिया।सिंगोली नगर में मेवाड़ प्रान्त में प्रथम बार जैनत्व संस्कार विधि महोत्सव का आयोजन बालकों को संस्कारित करने हेतु आगामी 27 अगस्त को होने जा रहा है इसमें अपने बच्चों को भेजकर धर्मलाभ और धर्म प्रभावना में सहभागी बनना चाहिए।इस दौरान मुनिश्री दर्शित सागरजी महाराज ने कहा कि जो जीवन में धर्म को नहीं छोडता है,उसे सुख,शान्ति,समृद्धि व सम्पत्ति कभी छोड़कर नहीं जा सकती है।सभा के प्रारंभ में मंगलमय आचरण की भावना से मंगलाचरण किया जाता है।चित्त के बुरे भावों का आवरण हट जाए इसलिए चित्रानवरण,ज्ञान प्रकाश से अन्तःस्थल प्रकाशित हो जाए अतः दीप प्रज्वलन,पापों का नष्ट करने के लिए एवं आचरण धारण करने हेतु पाद प्रक्षालन तथा दिव्यज्ञान प्राप्ति के लिए शास्त्र दान करते है।जीवन में छोटी छोटी बातों को समझें कि आवश्यकता है।रविवार को नजदीकी धनगाँव समाज के महिलाएँ व पुरुष धनगाँव से पैदल यात्रा के रूप में चलकर मुनिश्री के दर्शनार्थ पहुंचे जहाँ पर मुनिश्री ससंघ को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया।इस अवसर पर सिंगोली के अलावा कसरावद,बिजोलियाँ,धनगाँव, झांतला,थडोद,बोराव,बेगूँ, रावतभाटा,डाबी सहित अन्य जगहों के समाजजन उपस्थित थे।

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