logo

णमोकार मंत्र का श्रद्धा मात्र ही भव्य जीव को संसार से पार उतारने वाला है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)। पंच परमेष्ठी का नाम जाप करने से विघ्न बाधाओं का नाश होता है।ऐसे ही पंच परमेष्ठी के नामों से युक्त मंत्रों का राजा णमोकार महामंत्र है जिसके जपने से स्वर्ग और मोक्ष सुख की प्राप्ति होती है।णमोकार महामंत्र 84 लाख मंत्रों का जन्मदाता है।णमोकार महामंत्र का विशुद्ध मन से,शुद्ध उच्चारण पूर्वक एक सौ आठ बार जाप किया जाए तो एक उपवास का फल प्राप्त होता है।णमोकार मंत्र अनादि निधन मंत्र है।वर्तमान में इसे आचार्य श्री पुष्पदंत और आचार्य श्री भूतबलि स्वामी ने षट्‌खण्डागम ग्रंथ में प्रथम बार लिपिबद्ध किया था।यह मंत्र महान महिमा-कारी है।णमोकार मंत्र का श्रद्धा मात्र ही भव्य जीव को संसार से पार उतारने वाला है।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 21 अगस्त सोमवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनि श्री ने कहा कि अंजन जैसे व्यसनी व्यक्ति ने णमोकार मंत्र पर श्रद्धान मात्र कर मोक्ष की प्राप्ति कर ली। कुत्ता,बैल,वानर,बकरे आदि पशुओं ने भी णमोकार मंत्र सुनकर देवगति को प्राप्त किया।इस महामंत्र का एक-एक अक्षर मंत्र रूप है।आचार्य कहते हैं कि णमोकार मंत्र के सभी अक्षरों को तराजु के एक पलड़े में और दूसरे पलड़े में तीन लोक रख दो तो भी णमोकार का पलड़ा ही भारी रहेगा।णमोकार मंत्र के एक पद का उच्चारण कर एक ग्वाले ने अपने इष्टफल प्राप्त किया।णमोकार मंत्र वह जहाज है जो भव्य जीवों को संसार समुद्र से पार ले जाने वाला है।विश्व का यह एक महामंत्र है जिसमें व्यक्ति विशेष को नहीं गुणों को धारण करने वाले सभी महापुरुषों को नमन किया गया है।जो एक बार णमोकार की कार में बैठ जाता है उसे जीवन से कष्ट विघ्न बाधाएँ समाप्त हो जाती है।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।

Top