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न्यूनतम वेतन पुननिरीक्षण की मांग, सीटू ने सोपा ज्ञापन

नीमच। न्यूनतम वेतन पुननिरीक्षण की मांग को लेकर गुरुवार को सीटू संगठन ने एक ज्ञापन  सोपा है दिए गए ज्ञापन में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष कामरेड शैलेंद्र सिंह, जिला अध्यक्ष किशोर जवेरिया  और सीटू जिला समिति के महासचिव कामरेड सुनील शर्मा ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक एवं अन्य कार्यों में लगे मजदूरों का वेतन पुनःनिरीक्षण 2019 से नहीं किया जा रहा है। जो की भाजपा सरकार का मजदूर विरोधी और पूंजीपति परस्त चेहरा दिखता है। न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 3 के अनुसार राज्य सरकारों को प्रत्येक 5 वर्ष के अंतर्गत न्यूनतम वेतन की दरों का पुन निरीक्षण करना चाहिए लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित नियोजनों के औद्योगिक मजदूरों एवं बीड़ी क्षेत्र का पिछले न्यूनतम वेतन वर्ष 2014 में किया था ।पिछले वेतन के बाद लगभग 9 वर्ष हो गए हैं लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने वैधानिक रूप से किया जाने वाला न्यूनतम वेतन पुनः निरीक्षण अब तक नहीं किया है। पिछले वर्षों में कोरोना महामारी के दौरान लाखों श्रमिकों  की आजीविका पर हमला तो हुआ ही है ऊपर से डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में सरकार द्वारा की गई भारी मूल्य वृद्धि एवं अन्य सभी जरूरी चीजों कि आसमान छुती कीमतों ने आम मेहनतकशों का जीवन तबाह कर दिया है। ऐसे हालात ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन का पुर्ननिरीक्षण न कर मजदूरों की लूट के जरिए पूंजीपति नियोजकों की तिजोरिया भरने का इंतजाम कर दिया है।  न्यूनतम वेतन का निर्धारण 8 घंटे के कार्य दिवस के आधार पर होता है न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत दवा एवं अन्य विक्रय संवर्धन नियोजन को अधिसूचित नियोजन में शामिल कर वर्ष 2014 में ही न्यूनतम वेतन दरे घोषित कर दी थी ।लेकिन इनके 8 घंटे कार्य दिवस का निर्धारण नहीं हुआ। प्रदेश के जिन अधिसूचित नियोजनों में 8 घंटे के कार्य दिवस का निर्धारण किया गया वहां भी 12-12 घंटे काम लिया जा रहा है और अतिरिक्त कार्य का नियम अनुसार भुगतान नहीं होता। ऐसे में वैधानिक रूप से न्यूनतम वेतन का प्रदेश भर में भुगतान सुनिश्चित नहीं होता है ।आंगनवाड़ी आशा ,आशा सहयोगी आंगनबाड़ी   कर्मियों ,नल जल चालक सहित अन्य योजना कर्मियों के नियोजन से अधिसूचित योजना में शामिल नहीं किया गया है। कृषि उपज मंडीयोंके हमाल, पल्लेदार ,तुलावटी ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कार्यरत ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर किसी ने किसी रूप से न्यूनतम वेतन की हकदार है। परंतु उन्हें भी यह नहीं मिलता है। तमाम संगठित क्षेत्र ऐसे हैं जहां श्रमिकों की न्यूनतम वेतन मिलता ही नहीं है इन परिस्थितियों में यह मांग की गई है कि न्यूनतम वेतन का तुरंत पुननिरीक्षण कर बेलगाम महंगाई को दृष्टिगत रखते हुए अकुशल श्रेणी का वेतन 26 हजार तथा इसी को आधार बनाकर अर्ध कुशल और कुशल, अति कुशल श्रेणी की न्यूनतम वेतन दरों में वृद्धि कर एरियर सहित भुगतान सुनिश्चित किया जावे, महंगाई के निष्प्रभाविकरण हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के प्रति बिंदु 10 की दर में महंगाई भत्ता का प्रावधान किया जाए, अधिसूचित नियोजनों की बाध्यता समाप्त कर आशा ,आशा सहयोगी, हम्मल, पल्लेदार , तुलावटी ,ड्राइवर हेल्पर ,कंडक्टर, निर्माण श्रमिक, आंगनबाड़ी , नल चालाक मृत्यु सहित सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को न्यूनतम वेतन की परिधि में लाकर न्यूनतम वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जाए , प्रदेश में भेल ,एनटीपीसी, पावर ग्रिड सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में बड़ी संख्या में नियोजित ठेका मजदूर सहित सभी प्रतिष्ठानों में कोल इंडिया में गठित हाई पावर कमेटी की अनुशंसा पर दिए जा रहे न्यूनतम वेतन के समतुल्य न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाए ,प्रदेश में निजी क्षेत्र में कई ऐसे उद्योग है जहां सिर्फ उच्च गुणवत्ता का उत्पादन होता है बल्कि यह उद्योग बहुत अधिक मुनाफा कमाते हैं इन सभी उद्योगों के लिए सरकार पृथक से न्यूनतम वेतन का निर्धारण करें और उसे लागू करें, दवा एवं अन्य विक्रय संवर्धन में लगे कर्मियों के लिए 8 घंटे के कार्य दिवस का वैधानिक निर्धारण कर उन्हें उसके लिए घोषित न्यूनतम वेतन का लाभ सुनिश्चित किया जाए, जिन नियोजनों में न्यूनतम वेतन लागू है या 8 घंटे का दिवस पर आधारित न्यूनतम वेतन भुगतान सुनिश्चित कर अतिरिक्त काम हेतु नियम अनुसार दुगनी नजर दर से भुगतान सुनिश्चित किया जाए।यह ज्ञापन मुख्यमंत्री और श्रम आयुक्त मध्य प्रदेश के नाम श्रम कार्यालय में कार्यालय अधीक्षक पूनम चंद्र खिंचावत को सोपा गया है इस अवसर पर दिनेश जोशी ,दिलीप व्यास, काजी नुरुल हसन, विनोद कताला, जितेंद्र वर्मा, मुकेश बाबा, मुकेश धाकड़, धर्मेंद्र यादव ,नीरज जोशी, मुकेश नागदा, सहित कई श्रमिक साथी उपस्थित थे

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