सिंगोली(निखिल रजनाती)।एक व्यक्ति के जीवन को उन्नत बनाने लिए गुरु की आवश्यकता होती है।माता-पिता जीवन निर्वाह की शिक्षा देते हैं,लौकिक शिक्षा गुरु जीवन निर्माण की शिक्षा देते हैं तो धर्म गुरु जीवन से निर्वाण प्राप्त करने की शिक्षा देते हैं।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 5 सितंबर मंगलवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनि श्री ने कहा कि आचार्यों ने माता-पिता से भी अधिक महत्व गुरु को दिया है क्योंकि माता पिता तो अर्थ व काम की शिक्षा देते हैं परन्तु गुरु धर्म और मोक्ष का मार्ग बताने वाले होते हैं।शिष्य संकल्प व समर्पण करता है तो गुरु भी उसे सब कुछ देने के लिए तैयार रहता हैं।गुरु बीजरूपी मंत्र देता है,वही सिद्धि रूपी वट वृक्ष बन कर शिष्य उच्चपद की प्राप्ति करता हैं।शिष्य को स्वीकार करने के बाद गुरु की जिम्मेदारी बढ जाती है।शिष्य मन वचन काय के समर्पित हो जाता है तब शिष्य-गुरु एका-कार होकर मात्र आत्मा का अनुभव ही बच पाता है।गुरु भाग्य निर्माता होता है वह शिष्य को कभी भी खाली हाथ नहीं रखता है।आज गुरु का स्थान शिक्षक ने ले लिया है।भारतीय संस्कृति वर्तमान काल में विचारणीय दौर से गुजर रही है।गुरु-शिष्य का सम्बन्ध विश्वास और समर्पण खलता है।शिक्षक शब्द के साथ अन्याय हो रहा है। गुरुजी शब्द आदर और बुद्धिमत्ता का बोध करता है।गुरु-शिष्य का सम्बन्ध संसार के सम्बन्धों से ऊपर होता है।यह वह पवित्र सम्बन्ध है जिसके द्वारा व्यक्ति का निर्माण होता है।इस दौरान मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज ने कहा कि शिक्षक का शि.कहता है शिष्टाचार,क्ष कहता है क्षमतावान् और क कहता है कर्तव्यशील।जो स्वयं शिष्टाचार का पालन करे,शिष्यों को सम्भालने तथा उन्हें ज्ञान देने में क्षमतावान हो तथा अपने कर्तव्य में हमेशा प्रयत्नशील रहे।आचार विचार युक्त शिक्षक ही एक आचार विचारवान शिष्यों को तैयार कर सकता है।शिक्षक में उदारता,वात्सल्य भाव होना चाहिए।जैसे आप लोग लौकिक शिक्षा के प्रति उत्साह रखते है,वैसी तत्परता धार्मिक शिक्षा व संस्कार के लिए भी रखनी चाहिए।शिक्षक व शिष्य को विद्यालय में शालीन वस्त्र पहनकर जाना चाहिए।आज शिक्षा सेवा नहीं व्यापार हो गया है इसलिए शिक्षा का स्तर भी घट रहा है।शिक्षण विद्यार्थी जीवन का चिन्ह है जो स्मरणीय छाप छोड़ता है,अतः शिक्षक को हर समय सावधानी रखना चाहिए।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।