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हिंदू धर्म और संस्कृति में सात जन्म का होता है पति-पत्नी का रिश्ता...भीमाशंकर जी शास्त्री कथा में श्री सांवरिया सेठ को लगाया 56 भोग का नेवैद्य

नीमच। हिंदु धर्म और संस्कृति में तलाक नाम का शब्द नहीं है। हिंदु  धर्म और संस्कृति और संस्कृति में पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्म का होता है। इसलिए कहा गया है कि पति-पत्नी गाड़ी के दो पहिए हैं और गाड़ी चलाने के लिए दोनों पहिए जरूरी है, जिस काम के लिए प्रभु ने तन दिया है, उस का सद्पयोग करना चाहिए। जीवन व्यस्त है, पर समय निकाले और प्रभु के दर्शन करने मंदिर जरूर जाए। यह बात श्री अग्रसेन सोश्यल ग्रुप के तत्वावधान में सिटी रोड़ स्थित पारसमणि गार्डन में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में छठवें दिन भागवताचार्य पं. भीमाशंकर जी शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा कि तन के इलाज के लिए अस्पताल जितना जरूरी है, मन के उपचार के मंदिर भी उतना ही जरूरी है। कहते हैं कि कण-कण में ईश्वर है, लेकिन उसकी प्रार्थना के लिए पूजा स्थल और मंदिर आवश्यक है। पं. शास्त्री ने कहा कि जो रामायण और महाभारत का विरोध करते हैं, वह रावण और कंस की सेना के लोग है। उन्होंने कहा कि भागवत कोई शोभा की वस्तु नहीं है, भागवत कथा को जीवन में आत्मसात करना पड़ता है। जहां भागवत कथा होती है, वहां जाकर भागवत कथा श्रवण करें। जब कुआ प्यासे के पास जाता है, तो कुए का महत्व समाप्त हो जाता है, लेकिन प्यासा जब कुए के पास जाता है तो कुए का महत्व बढ जाता है। शादी के बाद माता-पिता को कभी भी बेटी के सुसराल में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। जो माता-पिता बेटी के ससुराल में हस्तक्षेप करते हैं, उनकी बेटी का जीवन अंधकार मय हो जाता है। उन्होंने कहा कि समपर्ण में कमी होती है तो प्रभु कृपा में भी कमी आ जाती है। इसलिए कहा जाता है कि समय के चक्कर में पड़ों तो संसार को नहीं, संसार को बनाने वाले को याद करों। उन्होंने कि गौमाता के पूजन से 33 करोड़ देवी देवता की पूजा हो जाती है। गौमाता में 33 करोड़ देवी-देवता का वास है।  गौमाता के गोबर में लक्ष्मी और गोमूत्र में गंगा विराजीत है। इसलिए गाय के गोबर और गोमूत्र को पवित्र माना गया है। पं. शास्त्री ने कहा कि महिलाओं का श्रृंगार शास्त्रों के अनुसार होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में श्रृंगार का अर्थ ही बदल गया है। कथा में पं. शास्त्री ने कृष्ण लीला, पूतना वध, गोवर्धन पर्वत, मीरा आदि प्रसंगों की वर्तमान परिपेक्ष्य में व्याख्या की। भागवत कथा के छठवें दिन श्री सांवरिया सेठ को 56 भोग का नेवैद्य लगाया गया। महाआरती के बाद प्रसादी वितरण किया। इस मौके पर आयोजक समिति के पदाधिकारियों यजमान परिवार समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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