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णमोकार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)।णमोकार महामंत्र ऐसा मंत्र है जिसे जब कभी,जहाँ कहीं भी स्मरण किया जा सकता है।आचार्य कहते है कि णमोकार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 14 सितंबर गुरुवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनि श्री ने कहा कि उसे स्मरण करने के लिए शारीरिक शुद्ध न भी हो तो चल सकता है।अपवित्र स्थान हो,शरीर भी अशुद्ध हो तो भी मन में महामंत्र का स्मरण पापों को नष्ट करने वाला है।णमोकार महामंत्र को सोते,जागते,उठते-बैठते,खाते- पीते,चलते-फिरते कभी भी स्मरण करो,उससे कर्मो की हानि ही होती है।अन्य मंत्रों के स्मरण आदि के लिए कुछ नियम होते है,उसमें भी पहला नियम शरीर और स्थान की पवित्रता होती है परन्तु णमोकार स्मरण के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।शारीरिक अस्वस्थता की अवस्था में बिस्तर पर लेटे-लेटे भी उसका स्मरण किया जा सकता है।मृत्यु शैय्या पर पड़ा हुआ व्यक्ति भी यदि महामंत्र का स्मरण व श्रवण करे तो उसके परिणामों में शान्ति आ जाती है और वह दुर्गति में जाने से बच जाता है।कबूतर-कबूतरी बैल,सर्पयुगल और हाथी ने इस महामंत्र को सुनकर उन्होंने भी भगवान् पर श्रद्धाकर अपने जन्म-जन्मान्तरों के कर्म को काटकर सद्‌गति प्राप्त की।णमोकार की कार कर्मों के गढ़ों से बचाकर मोक्षमार्ग रूपी हाइवे पर ले जाती है।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।

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