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णमोकार मंत्र सभी विध्न बाधाओं को दुर करने वाला है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)।णमोकार महामंत्र का एक नाम अपराजित मंत्र भी कहा गया है।यह पंच नमस्कार मंत्र को किसी भी मंत्र तंत्र के द्वारा पराजित नहीं किया जा सकता है।णमोकार मंत्र के सामने सभी मंत्र शक्तिहीन हो जाते हैं।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 15 सितंबर शुक्रवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनि श्री ने कहा कि यह मंत्र सभी मंत्रों का राजा और जननी माना जाता है।पंच नमस्कार मंत्र का ध्यान कर सती सोमा ने नाग को हार बना दिया तो सती मनोरमा ने शत्रु देव द्वारा किलीत किए गए हाथी को चला दिया था।सती रयण-मंजुषा ने अपने शील की रक्षा की।यह पंच नमस्कार मंत्र सभी विघ्नों का नाश करने वाला अचूक मंत्र है।इस मंत्र पर श्रद्धा करने मात्र से अञ्जन जैसा चोर भी राजदण्ड से बच गया और मुनि बनकर निरंजन पद को प्राप्त हो गया।आचार्य कहते है कि अन्य मंत्र तो एक-एक बाधाएँ दूर करते है पर णमोकार मंत्र सभी विघ्न बाधाओं को दूर करने वाला है।इस महामंत्र में बीजाक्षरों का समावेश है और वे बीजाक्षर भग‌वान की दिव्य ध्वनि का भी आधार है इसलिए यह णमोकार मंत्र भगवान् की दिव्य ध्वनि स्वरूप ही है,इसका स्मरण करने से जिनेन्द्र भगवान् की वाणी का ही स्मरण हो जाता है।णमोकार वह यान है जिसमें सवार होकर भव सागर से पार जाया जा सकता है।मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में 17 सितंबर रविवार को चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज का 68 वें समाधि दिवस पर संगीतमय आचार्य श्री की पूजन व विनयांजलि सभा व मुनिद्बय के मंगल प्रवचन व होंगे।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित रहेंगे।

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