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शान्तिसागर जी महाराज का समाधि दिवस बड़े भक्तिभाव के साथ मनाया जाएगा

17 सितंबर रविवार को होंगे विभिन्न आयोजन

सिंगोली(निखिल रजनाती)।20 वीं सदी के प्रारंभ तक भारत में दिगम्बर जैन मुनियों की संख्या अंगुलियों पर गिनने योग्य थी,वे मुनि भी दक्षिण भारत में ही मात्र थे।उत्तर भारत में मुनियों की संख्या शून्य थी ऐसी परिस्थितियों के बीच जो मुनिराज थे वे भी आगम के अनुरूप पूर्ण चर्या का पालन नहीं कर पाते थे।20 वीं सदी के मध्यकाल में सन् 1920 में दक्षिण भारत में ही बेलगांव के जिला अंतर्गत भोज ग्राम में जन्मे सातगौडा पाटील ने दिगम्बर श्रमण दीक्षा धारण की और आगम के अनुसार चर्या का पालन प्रारंभ किया।प्रारंभिक कठिनाइयों को झेलते हुए अपनी दृढ़ता  के बल पर उन्होंने मुनि चर्या को सभी जनों के लिए पुनर्जीवित  कर दी।ऐसे उन परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर महाराज जी का आज 68 वां समाधि दिवस है।एक साधक अपने साधना की पूर्णाहूति सम्य समाधि के रूप में देता है।आचार्य श्री शान्ति सागर जी ने अपने जीवन को सभी साधकों के लिए आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया था जो भी आगम के अनुसार साधक को अनिवार्य है, उसे बताने के लिए उन्होने प्रयोग रूप से सभी को बताया।आचार्य श्री जी ने अपने संयमी जीवन में दस हजार के लगभग उपवास किए।अपने संयमी जीवन के 35 वर्षों में लगभग 27 वर्षों से ऊपर  का समय उपवास में ही बिताया।उन्होंने उत्तर भारत में भी विहार कर जिन धर्म की बहुत प्रभावना की सिन् 1924 में उन्हें संघ और श्रावकों ने मिलकर आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया।चूंकि आचार्य महाराज के पूर्व  मुनि तो थे पर कोई आचार्य नहीं था इसलिए वे बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य कहलाए।यह वर्ष आचार्य श्री शान्तिसागर जी महामुनिराज का आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।आज उन्हें महानात्मा के समाधि दिवस पर उन्हीं की पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर  जी महाराज एवं मुनि श्री दर्शित सागर जी महाराज के सान्निध में श्री शान्तिसागर सभा मंडपम विद्यासागर सन्त निलय पर 17 सितंबर रविवार को आचार्य श्री का 68 वें समाधि दिवस पर संगीतमय पूजन व विनयाञ्जलि सभा का आयोजन होगा।प्रातःकाल श्रीजी का अभिषेक एवं शान्तिधारा होगी व उसके बाद आचार्य श्री की संगीतमय पूजन व समाजजनों व मुनिश्री ससंघ के द्वारा विनयांजलि सभा व मुनिश्री ससंघ के मंगल प्रवचन होंगे जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहेंगे।

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