सिंगोली(निखिल रजनाती)।स्थानीय श्वेतांबर जैन समाज ने पर्वाधिराज पर्व पर्युषण मनाते हुए संवत्सरी का प्रतिक्रमण कर 84 लाख जीवायोनी से वर्ष भर में जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना की।श्री वर्धमान स्थानकवासी श्री संघ ने यहां चातुर्मासार्थ विराजमान राजस्थान प्रवर्तीनी मेवाड़ सिंहनी पूज्या गुरूणी यशकंवर जी म.सा की सुशिष्या परम विदुषी साध्वी श्रमणी संघ संरक्षिका पूज्या रमीलाकंवर जी मा.सा एवं सेवा भावी सुशीलाकंवर जी मा.सा. के सानिध्य में पर्युषण महापर्व मनाते हुए त्याग तपस्या करते हुए धर्म आराधना की वहीं मूर्तिपूजक श्रीसंघ में स्वाध्यायी के रूप मे पधारे गौरव जैन नलखेडा,हर्षित चतर उज्जैन,शुभम नलवाया आकोदिया से पधारे स्वाध्यायी बंधुओं के सानिध्य में आठों ही दिन त्याग-तपस्या,पूजा-अर्चना के साथ भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति की गई।पर्युषण पर्व पूर्ण होने पर स्थानकवासी जैन समाज एवं मूर्तिपूजक श्रीसंघ ने हर्षोल्लास के साथ क्षमापना पर्व मनाया और नगर में शौभायात्रा निकाली स्थानकवासी समाज के लोगों ने स्थानक भवन से एवं मूर्तिपूजक श्रीसंघ ने पार्श्वनाथ मंदिर से शौभायात्रा निकाली।स्थानकवासी जैन समाज द्वारा निकाली शौभायात्रा नगर भ्रमण कर दिगंबर जैन मंदिर पहुंची जहाँ चातुर्मास हेतु विराजित परम पूज्य संत श्री सुप्रभ सागर जी महाराज एवं दर्शित सागर जी महाराज के दर्शन कर क्षमा याचना की।इस अवसर पर पूज्य गुरूदेव सुप्रभ सागर जी महाराज ने धर्मसभा में बोलते हुए कहा कि झुकने वाला जग को जीत सकता है जैसे भगवान महावीर और पार्श्वनाथ ने सामर्थ्य होते हुए भी हमेशा अपने मन में क्षमा का भाव रखा इसलिए वे तीर्थंकर कहलाए।हमें भी मन में हमेशा क्षमा का भाव रखना चाहिए और अपने जीवन का उद्धार करना चाहिए।गुरूदेव ने जैन एकता पर भी जोर दिया और सभी को एक रहने की बात कही।मूर्तिपूजक श्रीसंघ की शौभायात्रा मंदिर से आरंभ हुई एवं नगर भ्रमण कर आराधना भवन पहुंची तथा स्थानकवासी समाज के लोग स्थानक भवन पहुंचे जहाँ क्षमापना पर्व मनाते हुए वर्ष भर में जाने-अनजाने में हुई भूलों के लिए एक दूसरे से क्षमायाचना की।इस अवसर पर स्थानक भवन पर आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए पूज्या रमीलाकंवर जी मा. सा. एवं सुशीलाकंवर जी मा.सा.ने क्षमा का बड़ा महत्व बताया और कहा कि जो काम हजारों-लाखों रूपए खर्च करने से नहीं होते वो एक क्षमा मांगने पर हो जाते है।साध्वी द्वय ने यह भी कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण है।ये काम कायरों के बस का नहीं है।क्षमा मांगना वीर का काम है तो क्षमा देना महावीर का काम है।रमीलाकंवर जी म.सा ने जैन धर्म में क्षमा का बड़ा महत्व बताया।धर्म सभा में पूर्व विधायक दुलीचंद जैन,वरिष्ठ श्रावक नाथुलाल गांधी,कन्हैयालाल मेहता एवं प्रदीप जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।