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संसारी प्राणी क्रोध, भय एवं हास्य के कारण असत्य बोलता है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)।सिंगोली नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के सानिध्य में दशलक्षण महापर्व बड़े धूमधाम व भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है।पर्व के दौरान बड़ी संख्या में समाजजन व्रत उपवास आदि कर रहे है।23 सितंबर शनिवार को प्रातःकाल श्रीजी का अभिषेक व शांतिधारा हुई।प्रथम शान्तिधारा करने का सौभाग्य लादुलाल,अशोक कुमार,हितेश कुमार ठग परिवार व चाँदमल, प्रकाशचन्द्र, रोशनकुमार, जयकुमार, निर्मलकुमार ठोला परिवार को प्राप्त हुआ।उसके बाद मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में संगीतमय पूजन, देव शास्त्र, गुरु सोलहकारण पचमेरू दशलक्षण व पुष्पदंत भगवान के मोक्ष कल्याण महोत्सव पर पूजन व निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया एवं तत्त्वार्थ सूत्र का वाचन कु.प्रिंसी बगड़ा व कु.शानु साकुण्या ने किया जिसके पश्चात मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने उत्तम सत्य धर्म पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज संसारी प्राणी सबसे अधिक डरता है तो वह है सत्य।सत्य को स्वीकार करना सरल नहीं होता है।आज का व्यक्ति सत्य से डरकर भागता है,सत्य को छिपाने या उससे बचने के लिए अपनी आँख मूँद लेता है परन्तु अपनी आंखे मूँद लेने से सत्य समाप्त नहीं हो जाता है।संसारी प्राणी क्रोध के कारण,स्नेह के कारण,भय के कारण,हास्य के कारण असत्य बोलता है।आचार्यों ने कहा है कि सत्य ऐसा बोलो जो हितकारी प्रिय हो।सत्य के बिना आत्म की प्राप्ति नहीं हो सकती है।जब शव को श्मशान ले जाते है तो कहते है भगवान का नाम सत्य है,सत्य बोलो गत्य है अर्थात सत्य के बिना कोई गति नहीं है।व्यक्ति कहता है पर इस बात को गहराई से नहीं सोचता है।सत्य प्रिय हो पर अहितकारी हो तो उसे भी असत्य के समान ही कहा है और किसी के हित के लिए कहा गया असत्य भी सत्य के समान कहा गया है।जब भी बोलो सत्य बोलो क्योकि सत्यवादी कभी भी हारता नहीं है।वाणी में सत्यता व मिठास हो तो व्यक्ति सबका प्रिय और विश्वसनीय होता है।कहा जाता है कि जुबान का घाव शीघ्र भर जाता है पर जुबान से लगा घात शीघ्र नहीं भरता है।मुख से निकली बात और कमान से छूटा तीर लौट कर नहीं आते है अतः सोचकर बोलो।बोलने के बाद मत सोचो।एक शब्द ऐसा होता है जो घाव कर देता है और एक शब्द ऐसा होता है जो औषधि का कार्य करता है।जीवन का राम नाम सत्य हो उसके पहले आत्माराम की सत्यता को जानकर उसकी प्राप्ति का पुरुषार्थ जगा लो।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।

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