सिंगोली (निखिल रजनाती)।परम पूज्य समाधि सम्राटआचार्य अभिनन्दन सागर महाराज के परम शिष्य आचार्य श्री अनुभव सागर जी महाराज ससंघ अल्प समय के लिए सिंगोली नगर में पधारे एवं कम समय में भी अधिक धर्म प्रभावना करते हुए दूसरे ही दिन 30 दिसम्बर गुरुवार दोपहर को बिजौलियाँ की ओर विहार कर गये।जानकारी के अनुसार आचार्य श्री अनुभव सागर जी महाराज के सानिध्य में गुरूवार को सुबह भगवान का अभिषेक और शांतिधारा का भव्य आयोजन हुआ जिसके पश्चात आहारचर्या से निवृत्त होकर दोपहर में भगवान चन्द्रप्रभु व पार्श्वनाथ भगवान का तप एवं जन्मकल्याणक महोत्सव मनाते हुए धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री अनुभव सागर जी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय बड़ा ही विचित्र चल रहा है।आज के दौर में जब तक किसी से कोई काम पड़े वहाँ तक तो हम साथ- साथ हैं और काम निबटा और हम आपके कौन वाला जमाना चल रहा है जो जिनवाणी के संदेश के ठीक विपरीत है।हमें स्वार्थ के भाव त्याग कर परमार्थ के भाव जगाना होंगे तो ही हमारा जीवन सार्थक होगा अन्यथा हम हमारे जीवन को बर्बाद कर रहे हैं।संसार असार है इस बात का अहसास हमें अपने आप में जगाना होगा।आचार्यश्री ने कहा कि चलने वाले की गलती से मार्ग गलत नहीं होता ठीक उसी तरह व्यक्ति की गलती से धर्म कभी गलत नहीं होता।आपने बताया कि हम श्रृद्धा से देखेंगे तो पत्थर में भी भगवान दिखाई देंगे और बिना श्रृद्धा के देखेंगे तो भगवान भी पत्थर दिखाई देंगे इसलिए हमें अपने विचारों को धर्म के अनुरूप सकारात्मक बनाने होंगे तथा हमारी आत्मा के उद्धार के लिए धर्म की राह पर चलना होगा तभी हमारा जीवन सफल होगा।हमें अपने आचरण को सदआचरण में ढ़ालना होगा वरना रोज मंदिर जाने के बाद भी कोई फायदा नहीं होगा।इस दौरान आचार्यश्री ने कई दृष्टांत भी सुनाए।धर्मसभा में सिंगोली सहित झांतला,धनगांव, थड़ौद,बोराव एवं राजस्थान के भैसरोड़गढ,रावतभाटा, बिजोलिया तथा भीलवाड़ा के श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।धर्मसभा के तुरंत बाद आचार्य अपने ससंघ बिजोलियाँ की ओर विहार कर गये।समाजजनों ने भी पूज्य सन्तों को विदाई दी।