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पेंशनर नागरिक महासंघ ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम सोपा ज्ञापन

नीमच। मध्य प्रदेश के पेंशनरों की लंबित मांगों के निराकरण को लेकर जिला सेवानिवृत्ति एवं पेंशनर्स नागरिक महासंघ ने शनिवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर प्रतिनिधि को सोपा,जिसमें बताया गया कि मध्यप्रदेश विधान सभा में मन्दसौर विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने मध्यप्रदेश पुनर्गठनआयोग 2000 की धारा 49(6) के संबंध में संकल्प पत्र पारित करवाया था।किन्तु उस पर आज दिनांक तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई, जो प्रदेश के पेंशनरों के साथ छलावा ही सिध्द हुआ है। जबकि केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2017 में धारा 49(6) के संबंध में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारों को लिखा जा चुका है कि इसका अब कोई औचित्य नहीं है। किन्तु धारा 49(6) की आड़ में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारें पेंशनरों की मंहगाई राहत के आदेश विलम्ब से जारी कर पेंशनरों का हक डकार रही है।मध्यप्रदेश पुनर्गठन आयोग 2000 की धारा 49 (6) तुरन्त प्रभाव से समाप्त की जावे। ताकि केन्द्र सरकार द्वारा जारी मंहगाई राहत के आदेश की तिथि से प्रदेश के पेंशनरों को भी समय पर लाभ मिल सके।समयमान वेतनमान लिपिकों के समान 10, 20, एवं 30 वर्ष सेवा अवधि पश्चात सभी को मिले और चौथा समयमान वेतनमान उन सभी अधिकारियों कर्मचारियों को मिले, जिनकी सेवा अवधि 35 वर्ष पूर्ण हो चुकी है। तथा दिनांक 1 जुलाई 2023 की बाध्यता समाप्त की जावे।30 जुन एवं 31 दिसम्बर को सेवानिवृत होने वाले अधिकारी कर्मचारी को 1 वेतनवृध्दि देकर उसकी पेंशन निर्धारित की जावें। इस संबंध में शीघ्र आदेश जारी किया जावे।सभी पेंशनरों एवं परिवार पेंशनरों को बिमारी के समय होने वाला सम्पूर्ण चिकित्सा व्यय म.प्र. सरकार स्वयं वहन करें।पेंशनरों को 65, 70 एवं 75 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर 5,10 एवं 15 प्रतिशत पेंशन में वृध्दि का लाभ दिया जावे। 80 वर्ष के पश्चात पूर्वानुसार ही रखा जावे। क्योंकि पेंशनरों को प्रति वर्ष वेतनवृध्दि का लाभ नहीं दिया जाता है म.प्र. विद्युत वितरण कम्पनी लि. के प्रदेश के सभी पेंशनरों को 4 प्रतिशत मंहगाई राहत के आदेश आज दिनांक तक जारी नहीं किए गए।जबकि म.प्र. के पेंशनरों के साथ ही इनके भी आदेश कर दिए जाने थे।जो म.प्र. विद्युत वितरण कम्पनी लि. के पेंशनरों के साथ अन्याय है।ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि उपरोक्त विषयांकित मांगों पर पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाकर आदेश पारित किया जाए अन्यथा समयावधि पश्चात प्रदेश स्तर पर उग्र आन्दोलन किया जावेगा।जिसकी समस्त जवाबदारी साशन प्रसाशन की होगी।

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