logo

ऋद्धि चमत्कार दिखाने हेतु नहीं होती है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)। तप के प्रभाव से आने वाली शक्ति विशेष को ऋद्धि कहते हैं,उन ऋद्धियों को धारण करने वाले मुनि ऋद्धिधारी कहलाते है।ऋद्धि प्रकट हो जाने के बाद भी उन मुनिराज को उसका ज्ञान ही नहीं होता है क्योंकि वे इन सबसे दूर रहते है और उससे प्रभावित नहीं होते हैं।वे निस्पृही जीवन जीते हैं।उन ऋद्धियों का प्रयोग स्वयं के लिए कम परोपकार के लिए ही अधिक करते हैं।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज 3 अक्टूबर मंगलवार को प्रातःकाल  धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनि श्री ने कहा कि ऋद्धियों को प्राप्तकर वे मुनिराज अपनी साधना को कम नहीं करते हैं, बल्कि दिन- प्रतिदिन उसे वृद्धिगत करते जाते है और वे परमोत्कृष्ट केवलज्ञान ऋद्धि को प्राप्त कर लेते हैं।इस केवलज्ञान को प्राप्त कर निराकुलता युक्त सुख-शान्ति के धाम में पहुँच जाते है।ऋद्धि चमत्कार दिखाने हेतु नहीं होती है ये तो साधना का विशेष फल है जो प्रत्येक साधक को प्राप्त नहीं होता है।जो साधक ऋद्धि प्राप्ति के लिए साधना करता है उसकी वह साधना व्यर्थ चली जायेगी इसलिए साधक को हर समय अपनी दृढता और धीरता का ध्यान रखना होता है।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।

Top