सिंगोली(निखिल रजनाती)।सिंगोली नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के सानिध्य में 11 अक्टूबर बुधवार को प्रातःकाल श्रीजी का अभिषेक व शांतिधारा हुई उसके बाद मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संसार में शक्तिशाली बड़े-बड़े योद्धा को भी जीतने वाला कोई है तो वह कामदेव है।कामदेव के सामने तो बड़े-बड़े साधक भी हार गए।वीतरागी अरहंत प्रभु ने उस कामदेव को भी जीत लिया है।वह कामदेव वीतरागी अरिहंत के सामने थर-थर कांपता है अत: उसी कामदेव को जीतने के लिए भक्त भगवान के चरणों के आगे पुष्प अर्पित करता है।पुष्प को कामदेव का अस्त्र माना जाता है उसके द्वारा ही वह सभी को काम से व्यथित करता है ऐसा लोकिक जीवन में माना जाता है अत: उस कामदेव का नाश करने के लिए उसके अस्त्र को प्रभु के चरणों में समर्पित करते है।वर्तमान में व्यक्ति इन्द्रिय विषयों से आसक्ति को कम नहीं कर रहा है।वृद्धावस्था में भी विषय वासना नहीं छूटती है।वह विषय वासना ही पतन का कारण बनती है।कामभाव का नाश मन रूपी पुष्प को प्रभु चरणों में अपर्ण करके ही कर सकते है।आचार्य कहते है कि स्पर्शन और रसना ये दो कामेन्द्रिय है जो वासना की वृद्धि कराती है।इन दो इन्द्रिय पर विजय प्राप्त करने पर शेष इन्द्रियाँ भी नियंत्रित हो जाती है।काम और भूम दो ऐसी चीज है जिसके लिए व्यक्ति किसी भी हद तक जा सकता है।भूख के लिए आज व्यक्ति सगे को भी नहीं छोड़ता है।भगवान आपने उस भूख रूपी सर्प को भी वश में कर लिया है इसलिए आपके चरणों में हम भक्त नैवेद्य चढाकर अपनी भूख मिटाने की प्रार्थना करते है। इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।