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संसार में जो अन्धकार है उसे दीपक के द्वारा दूर किया जा सकता है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)।संसारी प्राणी अज्ञान एवं मोह के अन्धकार में भटक रहा है।इस गहन अन्धकार के कारण उसे सही मार्ग नहीं दिख रहा है।संसार में जो अन्धकार है उसे दीपक के द्वारा दूर किया जाता है,इसी कारण अज्ञान रूपी अन्धकार को दूर करने के लिए एवं ज्ञान दीप प्रकाशित करने हेतु देव-शास्त्र-गुरु के चरणों के समीप दीपक समर्पित करते है।भगवान् का ज्ञान स्वपर प्रकाशक है।ज्ञानदीप सब ओर प्रकाश फैलाता है।भौतिक दीपक दूसरों को प्रकाशित करता है परन्तु स्वयं प्रकाशित नहीं हो पाता है इसलिए कहावत प्रचलित हुई - दीया तले अन्धेरा।भगवान ने केवलज्ञान रूपी ज्योति से अपने आत्म तत्व को प्रकाशित किया और उसी ज्ञान ज्योति के द्वारा अन्य जीवों को भी प्रकाशित कर आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।भगवान् के चरणों में दीपक अर्पित करते हुए भावना भावों की भगवान् आपके ज्ञान ज्योति से मेरी अन्तर ज्योति प्रज्वलित हो जाए और मैं भी केवल ज्ञान रूपी सूर्य को प्राप्त कर सकूं।जड़ दीपक एक ही स्थान को प्रकाश प्रदान करता है परन्तु ज्ञान दीपक तीनो लोकों को प्रकारण ज्ञान प्रदान करता है और भव्य जीवों को पतन से बचाता है।आगामी 24 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज का आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष का प्रारंभ होने पर भव्य आयोजन मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में होगा।इस अवसर पर पंच दिवसीय होने वाले कार्यक्रम की पत्रिका का विमोचन गुरुवार को प्रातःकाल मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के परिवार के द्वारा किया गया।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित थे।

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