सिंगोली(निखिल रजनाती)।भौतिक सम्पदा से अमूल्य मोक्षपद नहीं मिलता है।अनर्घ अर्थात बहुमूल्य,उस बहुमूल्य मोक्ष पद की प्राप्ति के लिए देव-शास्त्र गुरु के चरणों में अल्प मूल्य वाला अर्ध समर्पित करता हूँ।संसार के सारे पद धनादि से प्राप्त किये जा सकते हैं परन्तु मोक्ष पद अमूल्य है।भौतिक सम्पदा से उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता है।आत्मिक सम्पदा को जानकर मोक्ष पद के लिए उसे लगाना पड़ेगा।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 17 अक्टूबर मंगलवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सांसारिक पद तो नाशवान है।आज है,कल नहीं फिर भी लोग उन पदों के लिए निरन्तर दौड़ लगाते रहते हैं।उसे प्राप्त कर छोड़ना नहीं चाहते हैं। आचार्य कहते है सांसारिक पद की होड़ में व्यक्ति सारे सम्बन्ध और नैतिकता को ताक पर रख देते है।संसारी प्राणी सांसारिक लौकिक पद के लिए भाग-दौड़ जितने करता है,उससे थोड़ा सा पुरुषार्थ और करे तो वह अविनश्वर पद को प्राप्त कर सकता है।जितने कष्ट,उपसर्ग,परीषह सांसारिक पद के लिए सहता है उससे आधे कष्टों आदि में वह मोक्षपद का पुरुषार्थ करे तो सुख मिल सकता है।आज तक नश्वर लौकिक पदाकांक्षा के कारण ही शाश्वत मोक्षपद की प्राप्ति नहीं हुई।उस मोक्ष पद को प्राप्त करने के लिए भगवान की भक्ति में द्रव्य के साथ भावों का भी पूर्ण समर्पण होना चाहिए।समर्पण के बिना की गई क्रिया कभी भी इष्ट फल को प्राप्त नहीं करा सकती है।