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महापुरुषों की हर चेष्टा के पीछे कुछ न कुछ उद्देश्य होता है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(निखिल रजनाती)।सिंगोली नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज के शताब्दी वर्ष महोत्सव पर 27 अक्टूबर शुक्रवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों की हर चेष्टा के पीछे कुछ न कुछ उद्देश्य होता है।उनका प्रत्येक कदम सोच विचार कर उठता है। आचार्य श्री शान्तिसागर जी महामुनिराज उन बिरले पुरुषों में से एक थे।कहा जाता है कि वे जो भी करते थे सोच-विचार करते थे। समाज के उत्थान हेतु आचार्य महाराज ने बाल विवाह,पुनर्विवाह आदि कुप्रथाओं को नष्ट करने हेतु कार्य किया।उन्होंने भारत में सबसे पहले कोल्हापुर में बाल विवाह निषेध कानून बनवाया।अन्य धर्म के लोग भी उनसे इतने प्रभावित होते थे कि जो आते मन में ईर्ष्या द्वेष का भाव लेकर आते थे,वे भी जाते समय उनके चरणों में नतमस्तक हो जाते थे।महाराज ने दिगम्बर श्रमणों को निर्दोष चर्मा बताई तो संगमी जीवन के अन्त को कैसे व्यतीत करना,यह भी सिखाया।उन्होंने सल्लेखना के पहले अपने अन्तिम उपदेश में सबके लिए कहा था कि संयम धारण करो डरो मत।36 दिन की सल्लेखना के दौरान उनके शरीर में शिथिलता नहीं आई।उन्होंने किसी से भी सेवा नहीं करवाई।उनकी समाधि होने पर देशभर के प्रमुख लोगों ने तो श्रद्धा सुमन अर्पण किए ही,विदेशी प्रमुख लोगों ने भी श्रद्धांजलि समर्पित की।आचार्य महाराज का सम्पूर्ण जीवन और उपदेश संग्रहित करने मात्र के लिए अनुकरणीय नहीं है।  मुनिश्री के सानिध्य में कार्यक्रम में सर्वप्रथम प्रातःकाल सुरभी साकुण्या द्वारा मंगलाचरण किया गया,चित्र अनावरण,दीप प्रज्वलन,शास्त्र दान का बेगूँ,चेची, कास्या समाजजनों को सोभाग्य मिला उसके बाद आचार्य  श्री शान्तिसागर जी महाराज की संगीतमय पूजन करने का सोभाग्य सुप्रभ भक्त मण्डल व सुदर्श भक्त बालिका मण्डल को मिला वही आचार्यों के अर्ध्य का सौभाग्य बेगूँ,चेची,कांकरियातलाई समाजजनों को मिला व उसके बाद चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज के जीवन पर परिचर्चा प्रारंभ हुई वहीं खण्डवा से पधारे मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के परिवार व बाहर से पधारे हुए समाजजनों का समाज द्वारा तिलक माला व दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया।28 अक्टुबर को प्रातःकाल 8 बजे मंगलाचरण,चित्र अनावरण,दीप प्रज्वलन 8:10 बजे परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज की संगीतमय महापूजन 8:45 बजे मुनिश्री को शास्त्र दान 8:50 परिचर्चा प्रारंभ उसके बाद मुनिश्री के मंगल प्रवचन होंगे जबकि सायंकाल 6:15 आचार्य वन्दना संगीतमय महाआरती रात्रि 8 बजे भव्य भजन संध्या श्री मयूर जैन इन्दौर के द्वारा भव्य प्रस्तुति दी जाएगी व रात्रि 11:30 बजे सरस्वती जापाराधना होगी।शुक्रवार के कार्यक्रम में सिंगोली के अलावा बेगूं,चेची, कांकरियातलाई, कांस्या,बोराव, झांतला, धनगाँव, थडोद, महुआ, बिजोलियाँ सहित अन्य नगरों के समाजजन उपस्थित थे।

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