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शान्तिसागर जी महाराज के शताब्दी वर्ष महोत्सव का हुआ समापन

पाँच दिन तक चले परिचर्चा के वक्ताओं का किया सम्मान

सिंगोली(निखिल रजनाती)।सिंगोली नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने चारित्र चक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज के शताब्दी वर्ष महोत्सव के समापन अवसर पर 28 अक्टूबर शनिवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि महान जीवन बनाने महापुरुषों को आदर्श बनाना होता है।आचार्य श्री शान्तिसागर जी का जीवन एक महान् आदर्शमय रहा है।उनके जीवन चरित्र को सुन कर एक गृहस्थ में वैराग्य की वृद्धि होती है तो एक मोक्षमार्ग के साधक का वैराग्य दृढता को प्राप्त होता है।आचार्य महाराज के दर्शन करने मात्र से शान्ति का अनुभव होता था।आज उनके जीवन चरित्र को सुनकर भी वैसा ही अनुभव होता है।आचार्य महाराज महामानव थे जिन्हें युगों-युगों तक याद किया जायेगा।उन्होंने मात्र शब्दों से उपदेश नहीं दिया वरन जीवन में उतारकर वैसा करने की प्रेरणा दी।जीवन ऐसा जियो कि लोग फिर याद करे न कि आपके जाने की फरियाद करे।जीवन को आदर्शमय बनाने के लिए कहने से पहले करना होता है।आचार्य महाराज कहते नहीं करते थे।दिगम्बर जैन श्रमण परम्परा उनकी चिर ऋणी रहेगी।आचार्य महाराज का व्यक्तित्व हिमालय के समान ऊँचा और समुद्र के समान गहरा है जिनकी ऊँचाइयों को छूना तथा गहराई को पाना कठिन है।आज इस व्यक्तित्व परिचर्चा का समापन हो रहा है परंतु ध्यान रखना है कि आचार्य महाराज के व्यक्तित्व से गांव-गाँव,नगर-नगर,घर-घर तथा हर मन परिचित हो सके ऐसा पुरुषार्थ हमें करना है।आज सिंगोली से महाराज के आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष का प्रारंभ हुआ है जो मेवाड़ के गांव-गांव और घर घर तक पहुंचे तथा भारत भर में इसकी गूंज पहुंचे।मेवाड़ आज तक आचार्य महाराज के नाम से परिचित था अब उनके जीवन चारित्र से सभी परिचित हो सके ऐसा कार्य पूरे मेवाड़ प्रांतीय समाज को करना है।मुनिश्री के सानिध्य में प्रातःकाल चित्र अनावरण,दीप प्रज्वलन,शास्त्र दान व प्राद प्रक्षालन डाबी,लाम्बोखाह एवं पाण्डिचेरी से पधारे समाजजनों को प्राप्त हुआ उसके बाद आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अवतरण दिवस पर संगीतमय पूजन सुप्रभ भक्त मण्डल द्वारा बड़े भक्ति भाव के साथ की वहीं आचार्यों के अर्ध्य डाबी महिला मण्डल व लाम्बोखाह महिला मण्डल द्वारा चढ़ाया गया जिसके बाद आचार्य श्री के जीवन पर परिचर्चा प्रारंभ हुई व उसके पश्चात दोपहर में सभा एवं सम्मान समारोह हुआ जिसमें परिचर्चा में भाग लेने वाले सभी वक्ताओं का सम्मान किया गया।इसी दौरान बाब्र.राकेश भैया जी सागर द्वारा उद्वोधन हुआ बाब्र.संध्या दीदी द्वारा उद्वोधन दिया गया जबकि बाब्र. टीना दीदी व सभी को सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।शनिवार को इस शताब्दी वर्ष महोत्सव के समापन अवसर पर समाज के नाथुलाल सांवला,भगवतीलाल मोहिवाल सिंगोली सहित कोटा,डाबी,बोराव,पाण्डिचेरी, झांतला,धनगाँव,थडोद, बिजोलियाँ सहित अन्य जगह के समाजजन उपस्थित थे।

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