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सम्यग्दृष्टि जीव संसार के सब प्राणियों का भला चाहता है - मुनिश्री सुप्रभ सागर

सिंगोली(माधवीराजे)।सिंगोली नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 7 नवंबर मंगलवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सम्यग्दृष्टि जीव संसार के सब प्राणियों का भला चाहता है।वह प्राणी मात्र के लिए सुख और शान्ति की कामना करता है।भगवान की पूजा के अन्त में वह शांति पाठ के माध्यम से समस्त जगत की शान्ति की भावना करता है।वह मात्र चेतन पदार्थों की रक्षा की भावना ही नहीं करता अपितु जड़ पदार्थों की रक्षा की भी भावना करता है।वर्तमान में पर्यावरण की रक्षा-सुरक्षा के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं की ओर से आह्वान किया जा रहा है फिर भी जनता में जागरुकता नहीं आ रही है।हमारे पूर्वजों ने और ऋषि-मुनियों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए उसे धर्म से जोड़ा और नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए,वृक्षों की कटाई रोकने के लिए,पृथ्वी की अनावश्यक खुदाई से बचाने के लिए उनमें देव-देवियों का स्वरूप निर्माण किया।धर्म के साथ जोड़ देने पर उनकी रक्षा-सुरक्षा होती रही परन्तु आज की पीढी धर्म विमुख है या विधर्म का पालन करने लगी है इसलिए पूर्वजों की यह व्यवस्था आज उन्हें व्यर्थ लगने लगी है।जैन दर्शन में पृथ्वी,नदी आदि को भले ही भगवान के स्वरूप में नहीं स्वीकारा परन्तु अनर्थ दण्ड त्याग व्रत के द्वारा प्रकृति की सुरक्षा का नियम बनाया है।गृहस्थों को पहले देश हित में नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।वर्तमान में मानव अचेतन पदार्थों में खोजने में लगा पर उसकी सुरक्षा के विषय में ध्यान नहीं है अब इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। प्राणी मात्र को सुख शान्ति इन्हीं मंगल भावों के द्वारा प्राप्त होती है।सभी जीव सुखी रहे सभी जीव निरोगी रहे और सभी को शान्ति की प्राप्ति हो।

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