सिंगोली(माधवीराजे)।नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज का चातुर्मास 13 नवंबर को भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव पर निष्टापन होगा वहीं मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 11 नवंबर शनिवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भक्त भक्ति और पूजा के अन्त में प्रभु से क्षमा प्रार्थना करता है,उन सभी गलतियों की जो भगवान की भक्ति करते समय हुई।भक्ति या पाठ बोलने में और काय से की जाने वाली क्रिया में कोई गलती रह गई हो तो प्रभु के समक्ष क्षमायाचना मांग लो और अन्त समाधिपूर्वक हो यही भावना कर लो।आज धन्यतेरस है,धन के लालचियों ने इस पर्व को धनतेरस बना दिया।सही में तो यह पर्व भगवान महावीर स्वामी के योग निरोध का दिवस है।योग निरोध का अर्थ है उन्होंने मन व वचन की चंचलता को समाप्त करना और मन को एक विषय में एकाग्र करना,यही उत्तम तप है।समवशरण आदि बाह्य सम्पदा तथा कर्म रूपी को त्यागकर देशना को भी बन्द कर शुक्ल ध्यान के द्वारा शेष बड़े अघातियों कर्मों की कमर को तोड़ कर मुक्तिधाम को प्राप्त करेंगे।भगवान ऋषभदेव ने 14 दिन और महावीर भगवान ने 2 दिन में योग निरोध कर शाश्वत पद को प्राप्त किया।सोमवार के दिन मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के सानिध्य में 13 नवंबर को प्रातःकाल मन्दिर जी में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव पर भगवान को लाड्डु चढ़ाया जाएगा।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित रहेंगे।