भगवान के मोक्ष कल्याण महोत्सव पर निर्वाण लड्डू चढ़ाया
सिंगोली(माधवीराजे)।भगवान की भक्ति करते हुए भक्त कामना नहीं भावना करता है क्योंकि कामना संसार को बढ़ाने वाली होती है और भावना भव का अर्थात संसार का नाश करने वाली होती है।अपने कष्टों का,दुःखों का नाश हो समाधि मरण हो,रत्नत्रय की प्राप्ति हो,जिन गुणों की सम्पत्ति की प्राप्ति हो,सुगति में गमन हो, ऐसी प्रशस्त भावना भक्त प्रभु चरणों में करता है।जो ऊपरी दिखावे की भक्ति करता है वह भावना नहीं सांसारिक सुख,धन सम्पत्ति संतति की कामना करता है।यह कामना ही संसार के दुःखों को लाती है।यदि कामना पूर्ण हो जाए तो नई कामना तैयार हो जाती है।जो कामना पूर्ण हुई वही चिरकाल तक रहे उसकी चिन्ता रहती है।भावना में चिन्ता नहीं स्व-कल्याण का चिन्तन रहता है। आचार्यों ने कहा है कि भावना भव नाशिनी अर्थात् भावना संसार को समाप्त करने वाली कही है। प्रभु भक्ति का उद्देश्य आत्म कल्याण होना चाहिए न कि संसार सुख की कामना।यह बात नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 14 नवंबर मंगलवार को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में सुख का साधन भावना को बनाओ। भगवान देते लेते कुछ नहीं है परन्तु भक्त को सही मार्ग दिखाकर उसका मार्गदर्शन अवश्य करते हैं।भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें मोक्ष कल्याण महोत्सव पर मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज के सानिध्य में समाजजनों द्वारा भगवान को लाड्डू चढ़ाया गया वहीं आगामी 19 नवंबर रविवार को मुनिश्री ससंघ का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह होगा जिसमें नवीन पिच्छिका देने व पुरानी पिच्छिका लेने का समाजजनों को सौभाग्य प्राप्त होगा।रविवार को यह कार्यक्रम दोपहर 1 बजे से प्रारंभ होगा।इस अवसर पर सभी समाजजन उपस्थित रहेंगे।