सिंगोली(माधवीराजे)।सिंगोली नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षित व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह 19 नवंबर रविवार को बड़े भक्ति भाव के साथ सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम की शुरूआत दोपहर 1 बजे हुई। मंगलाचरण सुश्री चेरी बागड़िया व चित्र अनावरण करने का सौभाग्य चांदमल पुष्पेन्द्रकुमार बगड़ा परिवार को प्राप्त हुआ।दीप प्रज्वलन करने का सौभाग्य लादुलाल,अशोककुमार,हितेश कुमार विनोदकुमार ठग परिवार को प्राप्त हुआ व मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य प्रेमचन्द,लोकेशकुमार साकुण्या परिवार को प्राप्त हुआ व मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य ज्ञानचन्द्र ठोला परिवार को प्राप्त हुआ।शास्त्र दान करने का सौभाग्य कलाबाई सुरभी मोहिवाल परिवार को प्राप्त हुआ उसके बाद चातुर्मास में कलश स्थापनाकर्ता परिवार को कलश प्रदान कर समाज द्वारा सभी का स्वागत अभिनन्दन किया गया जिसके बाद शिवपुरी व मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के बड़े भुवाजी के लड़के खरगोन वालों का समाज द्वारा तिलक माला व पगड़ी पहनाकर स्वागत अभिनन्दन किया गया।इसी बीच भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह में मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज को नवीन पिच्छिका देने का सौभाग्य समाज के श्रावक को सौभाग्य प्राप्त हुआ व पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य निलेशकुमार,विद्याकुमारी बागड़िया परिवार को प्राप्त हुआ जबकि मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज को नवीन पिच्छिका देने का सौभाग्य चातुर्मास कमेटी को प्राप्त हुआ तथा पुरानी पिच्छिका लेने का सौभाग्य मनोजकुमार, रेखा ताथेडिया परिवार को प्राप्त हुआ उसके बाद दोनों मुनिद्वय ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अहिंसा धर्म के पालन करने के लिए अपने हाथों में मोर के पंख से बनी पिच्छिका रखते हैं।मोर के पंख से बनी ही पिच्छिका रखने के पांच कारण हैं।धर्म से पुण्य मिलता है आपने कहा कि आचरण को शुद्ध रखो जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा।मोर के पंख बहुत कोमल होते हैं यदि वह मनुष्यों की आंख में भी चला जाए तो बाधा नहीं होती है।वजन में हलके होते है तथा मोर इन्हें स्वतः जब छोड़ता है तब इन्हें प्रयोग में लाते हैं।सिंगोली समाज ने मुनिश्री ससंघ को अष्टान्हिका महापर्व व शीतकालीन हेतु श्रीफल अर्पित किया।पिच्छिका परिवर्तन समारोह में मंच का संचालन अंकितकुमार हरसोला व रिंकल ठोला लाम्बाखोह ने किया।इस सम्पूर्ण कार्यक्रम में शिवपुरी,खरगोन,बोराव,झांतला, धनगाँव,थडोद,बिजोलियाँ, रावतभाटा,चांदजी की खेड़ी, आरोली,लाम्बाखोह सहित अन्य जगहों से समाजजन उपस्थित थे।