सिंगोली(माधवीराजे)।रंग खेलना सबको अच्छा लगता है चाहे बड़े हो या चाहे छोटे बच्चे।रंग का अपना अलग आकर्षण होता है सफेद,लाल,नीला,पीला काला ये पांच रंग हैं और सारे रंग इन्हीं पांचों के मिश्रण से तैयार होते हैं काले रंग पर अन्य कोई रंग नहीं चढ़ता है इसलिए वह अच्छा नहीं माना जाता है।इन सब रंगों में भी पक्का और सुन्दर रंग कहा गया है भक्ति रंग।यह बात थडोद ग्राम में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षित व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने 19 दिसंबर मंगलवार को कहा कि प्रभु भक्ति का इन सब रंगों में श्रेष्ठ है,प्रभु भक्ति का रंग चढ़ जाए उसे अन्य सब रंग व्यर्थ लगते हैं। यह इतना पक्का रंग है कि इसमें रंग व्यक्ति को यदि मृत्यु का भी वरण करना पड़े तो उसके लिए भी तैयार हो जाते हैं।प्रभु भक्ति का रंग ऐसा रंग है जो भक्त को भी भगवान बना देता है।लोकिक रंग तो चेहरा विक्रत कर देते हैं पर भक्ति का रंग पूरे शरीर को अलोकिक आभा से भर देता है। प्रभु भक्ति के रंग से वह भक्ति प्राप्त होती है जिसके माध्यम से खारा समुद्र क्या संसार समुद्र से पार लग जाते हैं,लोकिक रंग दो चार दिन में उतर जाता है लेकिन प्रभु भक्ति का रंग जीवनभर बना रह सकता है।इस दौरान ग्राम थडोद में मुनिश्री के सानिध्य में प्रतिदिन दोपहर में महिलाओं की कक्षा लग रही है जिसमें बडी संख्या में महिलाएँ शामिल हो रही है।उल्लेखनीय है कि सिंगोली में चातुर्मास में धर्म की गंगा बहाने वाले दिगम्बर जैन मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज इन दिनों थडोद गांव में विराजमान हैं।