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श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा का हो रहा प्रवाह, पुण्य कर्मों के फल व्यक्ति की दशा और दिशा तय करते हैं- पंकज कृष्ण महाराज,

नीमच। गीता में कहा गया है कि व्यक्ति अपने पुण्य परमार्थ का कर्म करता रहे और फल की इच्छा नहीं करें फल ईश्वर पर छोड़ दें।क्योंकि यदि हमने अच्छा कर्म किया है तो उसका फल हमें अवश्य अच्छा ही मिलेगा। परमात्मा अच्छे कर्मों का फल शीघ्र देता है वह अपने पास नहीं रखता है। विश्वास नहीं हो तो हम अच्छे कर्म करके परिणाम देखें तो हमें स्वत: ही समझ आएगा कि अच्छे कर्मों का फल सदैव अच्छा ही मिलता है।पुण्य कर्म व्यक्ति की दशा और दिशा दोनों तय करते हैं।गीता ज्ञान व्यक्ति को सत्य की राह के साथ चलकर पवित्र कर्म करने की प्रेरणा देता है ।गीता ज्ञान को जीवन में आत्मसात करें तो मनुष्य के जीवन का कल्याण हो सकता है।यह बात पंकज कृष्ण महाराज ने कही।वे अंबेडकर कॉलोनी स्थित नारायण बाबा मंदिर परिसर नीमच  पर आयोजित श्रीमद्भागवत धर्म सभा में बोल रहे थे।  उन्होंने कहा कि  धर्मात्मा राजा उग्रसेन के यहां पापी कंस ने जन्म लिया तथा पापी हिरणाकश्यप के यहां भक्त प्रहलाद ने जन्म लिया था। पिछले जन्म के कर्मों का फल होता है।कंस ने 16 वर्ष की अल्पायु में तपस्या की और शक्ति और बलवान बना था।और विश्व विजय को प्राप्त किया था।भागवत कथा में महाराज  ने श्री कृष्ण गोपी संवाद,कंस का अहंकार, सती शिव दक्ष प्रजापति संवाद मीरा, राधा कृष्ण , तुलसी, तुलसीदास के प्रसंग  ,ध्रुव ,पूतना आदि धार्मिक प्रसंग के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा 16 से 22 दिसंबर तक प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक प्रवाहित हो रही है ।

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