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जय आदिवासी युवा शक्ति और भारत मुक्ति मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर सोपे ज्ञापन

नीमच। छत्तीसगढ़ के हसदेव क्षेत्र में आदिवासियों के विस्थापन और पेड़ कटाई को रोकने को लेकर जय आदिवासी युवा शक्ति एवं  ईवीएम मशीन के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन को लेकर भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा बुधवार को महामहिम राष्ट्रपति के नाम दो अलग-अलग ज्ञापन कलेक्टर प्रतिनिधि को सौंपे,जिसमें जय आदिवासी युवा शक्ति ने अपने ज्ञापन में बताया कि भारत देश के आदिवासियों को उनकी अपनी सामाजिक संस्कृति एवं आर्थिक हितों की रक्षा तथा जल जंगल जमीन आदि के लिए अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर भारतीय संविधान में गैर आदिवासियों की जल जंगल जमीन वन औषधि परंपरागत स्वास्थ्य उपचार सामाजिक व्यवस्था जो प्रकृति पर्यावरण में अनुकूल का जीवन जीने के परंपरागत पर्यावरण सुरक्षा संरक्षण प्रशिक्षण सदियों से करते आ रहे हैं इसलिए आदिवासी क्षेत्रों में शुद्ध हवा शुद्ध पानी जंगली जीव जंतु पेड़ पौधे आदि सुरक्षित है परंतु जैसे-जैसे अनुसूचित क्षेत्रों में आधुनिक विकास के नाम से अन्य लोगों को जल जंगल जमीन दिए जाने पर अनुसूचित क्षेत्र भी प्रदूषित हो रहे हैं देश के सभी लोगों को शुद्ध हवा शुद्ध पानी भी नसीब नहीं हो पा रही है और संतुलित पर्यावरण खत्म हो रहा है इसलिए हसदेव क्षेत्र जैसे जंगलों को बचाना जरूरी है आदिवासियों की सामाजिक संस्कृति एवं आर्थिक हितों की सुरक्षा रखने का विशिष्ट प्रावधान होकर विभिन्न कोर्ट द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में गैर आदिवासी व्यक्ति कंपनी एवं सरकार भी एक व्यक्ति के समान होने से अनुसूचित क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण करने के पूर्व आदिवासियों की सामाजिक संस्कृति एवं आर्थिक हितों को सुरक्षित रखने का प्रावधान होने से भारत के संपूर्ण आदिवासी क्षेत्र अनुसूचित क्षेत्र एवं जनजाति क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण रोका जाकर भारत के आदिवासियों को संविधान के प्रावधान के अनुसार सुरक्षित रखा जाए। इसी प्रकार दूसरा ज्ञापन भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा ईवीएम मशीन के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन के संदर्भ में दिया गया जिसमें बताया गया कि भारत मुक्ति मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष नई दिल्ली के आवाहन पर ईवीएम हटाओ वेलेट पेपर लाओ और लोकतंत्र बचाओ अभियान के अंतर्गत भारत के 567 जिले के मुख्यालयों पर भारत मुक्ति मोर्चा के द्वारा भारत का लोकतंत्र बचाने के लिए ईवीएम के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है। भारत की सर्वोच्च न्यायपालिका ने दिनांक 8 अक्टूबर 2013 को एक ऐतिहासिक जजमेंट देकर कहा कि केवल ईवीएम मशीन से मुक्त निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव नहीं हो सकता इसलिए ईवीएम मशीन के साथ वीवीपीएटी मशीन लगाना अनिवार्य होगा, ईवीएम मशीन में वोटर के वोटो का सत्यापन करने का प्रावधान न होने की वजह से पारदर्शिता नहीं रह पा रही है जिसके कारण नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने के साथ-साथ लोकतंत्र की भी हत्या हो रही है हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनाव मैं ईवीएम घोटाले से संबंधित 15 से 20 हजार केस इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया के पोर्टल पर दर्ज है। परंतु अब तक चुनाव आयोग द्वारा इन सवालों के जवाब नहीं दिए गए हैं इसका मतलब चुनाव आयोग इन सवालों के प्रति व संवेदनशील नही है चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है इसलिए चुनाव आयोग पर जवाब दे ही का संवैधानिक सिद्धांत लागू होता है अगर चुनाव आयोग जवाबदेही के संवैधानिक सिद्धांत को नहीं मानता तो चुनाव आयोग की तानाशाही मानी जाएगी।इन सभी बातों से यह सिद्ध होता है कि चुनाव आयोग ही घोटाले करवा रही है जिसको लेकर भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा चरणबद्ध आंदोलन 20 मुद्दों को लेकर किया जा रहे हैं जिसमें ईवीएम मशीन पर पाबंदी लगाना, 8 अक्टूबर 2013 का सुप्रीम कोर्ट का लैंडमार्क जजमेंट, सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग के साथ मैनेजमेंट,चुनाव आयोग के द्वारा पुरानी मशीनों का इस्तेमाल, 2014 में वीवीपीएटी मशीन ना के बराबर लगाना, 2014 के लोकसभा चुनाव में घोटाले करने के सबूत,चुनाव आयोग के विरोध में बामसेफ का कांटेक्ट ऑफ कोर्ट का केस, जैसे मुद्दे शामिल किए गए हैं।

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