सिंगोली(निखिल रजनाती)।25 फरवरी रविवार को कस्बे सहित तहसील क्षेत्र में शब-ए-बारात का पर्व शांति और सौहार्द के साथ संपन्न हो गया।इस दौरान क्षेत्र में जहाँ कब्रिस्तान और मस्जिदों को रोशन किया वहीं रातभर दुआओं का दौर चलता रहा।सोमवार सुबह इस आशय की जानकारी देते हुए अंजुमन कमेटी के सदर रईस खान ने बताया कि शब–ए–बारात की इस्लाम में बड़ी अहमियत है।इस दिन मुसलमान पूरी रात नमाज और कुरआन पढ़ते है और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते है साथ ही कबिस्तान जाकर अपने पूर्वजों की कब्रों को फूलों से सजाते है और अल्लाह से दुआ करते है कि अल्लाह उनके गुनाहों को माफ करें और मरहूम को जन्नत में आला से आला मुकाम अता फरमाएं।रईस खान ने बताया कि शब-ए-बारात में दो दिन रोजा रखने का भी रिवाज है।पहला रोजा-शब-ए-बारात के दिन और दूसरा रोजा अगले दिन रखा जाता है हालांकि ये रोजा फर्ज नहीं होता है बल्कि इसे नफील रोजा कहा जाता है।बताया जाता है कि इस दिन रोजा रखने से सालभर के सभी गुनाह माफ हो जाते हैं।