सिंगोली(निखिल रजनाती)।सिंगोली नगर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षित व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज का 26 मार्च मंगलवार को प्रातःकाल भव्य मंगल प्रवेश हुआ।नगर प्रवेश के दौरान मुनिश्री का जगह जगह प्राद प्रक्षालन व आरती समाजजनों द्वारा उतारी गई।मुनिश्री ढोल ढमाको के साथ नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जी पहुँचे जहाँ पर मुनिश्री के सानिध्य में ठोला परिवार द्वारा आयोजित भव्य संगीतमय श्री पार्श्वनाथ मण्डल विधान किया गया जिसमें मुनिश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया वहीं आचार्य श्री का चित्र अनावरण,प्राद प्रक्षालन व मुनिश्री को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य समाजजनों को मिला उसके बाद मुनिश्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भव्य जीव के पुण्य योग से साधुओं के दर्शन होते है और वह भी स्वयं के नगर में हो जाए तो महापुण्योदय है।वर्ष से आपके मेवाड़ प्रान्त में भ्रमण कर रहे है फिर भी आधा ही हो पाया है जीवन में साधु संगति एक क्षण के लिए भी मिले वह आत्मा कल्याण का कारण है।आपको लगातार एक वर्ष से किसी न किसी साधु की संगति मिल रही है।वैसे तो साधु और पानी का स्वभाव चलते रहना है यदि पानी एक स्थान पर रुक जाए तो सड़ जाता है इसी प्रकार साधु एक स्थान पर रुक जाए तो उसके चरित्र में दोष उत्पन्न हो जाता है।बहता पानी और रमता जोगी ही प्यास को बुझा सकता है।बहता पानी निर्मल होने से प्यास बुझाता है और चलता फिरता योगी आत्मा की प्यास बुझाता है।समाज के पारस जैन ने बताया कि मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज का 2023 का भव्य चातुर्मास सिंगोली नगर में हुआ था।चातुर्मास सम्पन्न होने के बाद मुनिश्री आसपास के नगर व गांवों में धर्म प्रभावना करते हुए अल्प प्रवास पर नगर में पधारे जहाँ पर समाजजनों द्वारा मुनिश्री की भव्य मंगल अगवानी की।इस दौरान बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।