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साधना आराधना से आत्मा निर्मल होती है--पपू श्री मोक्षज्योति श्री जी

 मालव दर्शन कुकड़ेश्वर(-मनोज खाबिया-)मनुष्य जीवन दुर्लभ है इसमें आलस्य और प्रमाद का त्याग कर अमुल्य जीवन का उपयोग करें,  नियम के बिना जीवन नीरस हमारी शारीरिक नींद में तो आंख खुल गई  पर हम प्रमाद की नींद में सो रहे बिना साधना आराधना के जीवन बेकार परमात्मा की वाणी सुनेंगे तो समझ पाएंगे और समझेंगे तो उसे जीवन में उतार पाएंगे यह वाणी अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली है उक्त बात जैन धर्मशाला में अत् विराजित  प पू श्री मोक्षज्योति श्री जी मा,सा, ने धर्म प्रभावना में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को फरमाते हुए कहा कि आज हम भौतिक साधनों की दौड़ में लगे हुए हैं। लेकिन सुख के साधनों के साथ धर्म त्याग तपस्या भी जरूरी है साधना आराधना से ही आत्मा निर्मल होगी और ये सब मनुष्य जीवन में ही संभव है,पाप पुण्य की दौड़ में हमें पुण्य का  पलड़ा  भारी रखना चाहिए  पुण्य के बिना कुछ संभव नहीं है हमारा चंचल मन तेज गति से दौड़ लगा रहा है इसको स्थिर रखना चाहिए इसके लिए व्रत नियम के ब्रेक जरूरी है कल का इंतजार नहीं करते हुए जो भी करना आज करें समय तेज गति से निकल रहा है इसको रोक पाना संभव नहीं  हमें समय का सदुपयोग समय पर कर लेना चाहिए।

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