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ईस्टर संडे के अवसर पर आशीष भवन चर्च में हुई विशेष आराधना,

नीमच। रविवार को ईसाई समुदाय द्वरा ईस्टर संडे के रूप में  आशीष भवन चर्च में मनाया गया इस दौरान चर्च के पास्टर विनोद मईड़ा द्वारा चर्च में मौजूद ईसाई समुदाय के लोगों को विशेष आराधना करवाई गई साथ ही प्रभु यीशु मसीह के जीवन के बारे में भी विस्तार से बताया गया। पास्टर विनोद मईड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि ईसाई समुदाय द्वारा आज रविवार को ईस्टर संडे के रूप में मनाया गया है और यहां मौजूद ईसाई समुदाय के लोगों ने प्रभु यीशु के नाम की गवाही दी है यहां पवित्र आराधना भी की गई है और रविवार को पुनरुत्थान दिवस के रूप में प्रभु यीशु मसीह के जीवित होने को लेकर मनाया गया है। यह दिन ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास होता है। गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे का पर्व मनाते हैं।आज 31 मार्च रविवार को ईस्टर संडे है। यह दिन ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास होता है गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे का पर्व मनाते हैं। गुड फ्राइडे ईसा मसीह के बलिदान व त्याग से जुड़ा दिन है। इस दिन लोग ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं। वहीं गुड फ्राइडे के तीसरे दिन यानी रविवार को ईसा मसीह दोबारा जीवित हुए थे,इसलिए ईसा मसीह के जीवित होने की खुशी में ईस्टर संडे का पर्व मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पुनर्जीवित होने के बाद यानी ईस्टर संडे के बाद 40 दिन तक ईसा मसीह पृथ्वी पर रहे और अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया, उसके बाद वे स्वर्ग चले गए।ईस्टर के पर्व को ईसाई धर्म के लोग बड़ी धूमधाम और उत्साह से मनाते हैं। इस दिन लोग चर्च जाते हैं और प्रभु यीशु को याद करते हैं। उनकी याद में गिरजाघर यानी चर्च में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। लोग बाइबिल पढ़ते हैं और प्रभु यीशु के जीवित होने की खुशी में एक दूसरे को बधाई देते हैं। कहा जाता है कि इस दिन ईशा मशीह के जीवित होने के बाद उनको यातनाएं देने वाले और सूली पर चढ़ाने वाले लोगों को भी बहुत पश्चाताप हुआ था,इसलिए इसे बदलाव का भी दिन माना जाता है।

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