नीमच। जिले सहित अंचल में गुरुवार को महिलाओं ने दशा माता का व्रत रख पूजा अर्चना की और सुख शांति समृद्धि के साथ घर की दशा सुधारने की कामना की एव पीपल वृक्ष को नैवेद्य अर्पित किए गए,हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता का व्रत और पूजा अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म परंपरा में दशा माता व्रत का विशेष महत्व है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दशा माता की पूजा अर्चना और व्रत करने से घर की दशा में सुधार आता है और दरिद्रता दूर होती है इस दिन त्रिवेणी वृक्षों यानि की तीन वृक्षों पीपल, नीम, और बरगद की पूजा करने का विधान है दशा माता की पूजा अर्चना के बाद महिलाएं गले में साल भर तक डोरा अर्थात वेर बांधे रहती हैं,मान्यता है कि इससे सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और घर के सदस्यों की उन्नति होती है. वहीं अगर आप सालभर इसे धारण नहीं कर सकती हैं तो वैशाख के महीने के शुक्ल पक्ष में कोई भी अच्छा दिन देखकर इसे माता के चरणों में अर्पित किया जा सकता है।इस व्रत में साफ सफाई का खास ध्यान रखना पड़ता है।चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता की पूजा अर्चना की जाती है, इस बार यह शुभ तिथि 4 अप्रैल गुरुवार को मनाई गई। धार्मिक मान्यता है कि दशा माता की पूजा अर्चना और व्रत करने से घर की दिशा दशा में सुधार आता है और दरिद्रता का अंत होता है। इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गठाने लगाती हैं और फिर उसे लेकर पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं। इस व्रत में डोरे का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह दशा माता का डोरा कहलाता है,जिसे महिलाएं साल भर तक गले में धारण करती हैं।