नीमच। धर्म ध्वजा धर्म संस्कारों की आदर्श प्रेरक होती है। धार्मिक मंदिरों की ध्वजा के लिए किया गया पुण्य दान कभी निष्फल नहीं जाता है। मंदिर ध्वजारोहण के दर्शन से मंदिर की प्रतिमा दर्शन का पुण्य लाभ भी मिलता है। ध्वजा के लिए किया गया पुण्य जीवन पर्यंत फलदाई होता है। धार्मिक संस्कारों का परिवर्तन पहले स्वयं में करना होगा तभी हम दूसरों को प्रेरणा दे सकते हैं। यह बात साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्री जी महाराज साहब ने कही ।वे महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर के तत्वाधान में महावीर जिनालय के ध्वजा महोत्सव घर-घर अभियान के द्वितीय दिवस विकास नगर स्थित राजेंद्र बंबोरिया परिवार के आवास के समीप आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी।उन्होंने कहा कि वीर के उपदेश से प्रेरणा लेकर हम बुराई को छोड़े और अच्छाई को जीवन में आत्मसात करें तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। जैन संतों का त्याग प्रेरणादायक होता है। मध्यप्रदेश के धार जिले के मांडू क्षेत्र में प्राचीन काल में महाराजा पैंथर शाह प्रतिदिन सोने की मोहर दान करते थे। उन्होंने ब्रह्मचर्य वाला व्रत के पालन का संकल्प लिया था।मां की ममता करुणा का सागर होती है ठीक उसी प्रकार परमात्मा करुणा के सागर होते हैं उनसे प्रेरणा लेकर हमें भी संसार में सभी जीवो के प्रति दया का पालन करना चाहिए।इससे पूर्व महावीर जिनालय पर प्रस्तावित धर्म ध्वजा को शिरोधार्य कर श्रद्धालु भक्तों द्वारा धर्म ध्वजा यात्रा निकाली गई। धर्म ध्वजा महोत्सव में धर्म लाभार्थी राजेंद्र कुमार बंबोरिया परिवार थे।धर्म सभा में बंबोरिया परिवार की मातृशक्ति द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। धर्म सभा में धर्म ध्वजा के कार्यक्रम में अनिल कुमार गांग ने समाजजनों से परिवार सहित पधारने की विनती की। और आमंत्रण प्रदान किया।रविवार सुबह 8बजे महावीर जिनालय से धर्म ध्वजा यात्रा नगर के प्रमुख मार्ग से निकल कर विकास नगर स्थित राजेंद्र बंबोरिया के आवास पर पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गई।कार्यक्रम का संचालन राजमल छाजेड़ ने किया तथा आभार महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ने व्यक्त किया।