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मौन तपस्वी साधक के रूप में श्री रोशनलाल जैन

(सेवानिवृत्ति पर विशेष)

सिंगोली(माधवीराजे)।हमारी संस्कृति में जहाँ मानव के कर्तव्य अधिकार दिखाये गए है वहीं मानव जीवन के कल्याण के लिए पुरूषार्थ करने का संदेश भी महापुरुषों,पूज्य संतो,महान ग्रंथों ने प्रदान कर मानव जाति का मार्गदर्शन किया है।इसी क्रम में शिक्षा विभाग में शिक्षक पद पर उनचालीस वर्ष निष्कंलक, निःस्वार्थ सेवा कर आज 31 मई 2024 को अधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो रहे श्री रोशनलाल जैन मोरवन को एक आदर्श उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।श्री रोशनलाल जैन का जन्म 1962 में एक सामान्य परिवार में नीमच जिले एवं तहसील के एक छोटे से गांव सोनियाना में हुआ था।कामकाज एवं व्यापार के लिए परिवार मोरवन बस गया।प्राथमिक शिक्षा मोरवन एवं मंदसौर से भूगोल में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल कर दिसंबर 1984 में शासकीय शिक्षक के रूप में प्राथमिक विद्यालय दडोली में सेवा प्रारंभ की।शासकीय नौकरी में आने से पूर्व से ही श्री रोशनलाल जैन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे।विभाग प्रचारक श्री जी प्रभाकरराव केलकर,शशिकांत फड़के,दिलीप जोशी के कुशल मार्गदर्शन में एक आदर्श स्वंयसेवक एवं तहसील,जिले एवं विभाग में विभिन्न दायित्वों पर संघ किरण घर-घर पहुंचाने अनेक नंदादीप जले के ध्येय वाक्य को लेकर कठिन परिस्थितियों में संगठन की सेवा की।ग्राम मोरवन में आदर्श सेवा समिति का गठन कर सेवा के क्षैत्र में सैकड़ों कार्यकर्ताओं को जोडकर संघ स्थान क्रय करने का एक आदर्श कार्य किया।बचपन से ही विनम्र धैर्यवान एवं कुशल संगठनकर्ता के स्वभाव के चलते गांव में आठ वर्षों तक आदर्श नाट्य कला मंडल के माध्यम से रामलीला का मंचन कर संगठन में कार्यकर्ताओं को जोडने का महत्वपूर्ण कार्य किया।रामलीला में राम, विश्वामित्र व रावण के अभिनय किये वहीं मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के विभिन्न दायित्वों पर रहकर शिक्षकों की समस्याओं का निदान कराने के लिए सदैव तत्पर रहे है।पेशे से शिक्षक होने के बाद विपरीत परिस्थितियों में भी हिन्दू संस्कृति के प्रति जिज्ञासु होने के कारण राष्ट्रीय शिक्षा,सांस्कृतिक शिक्षा,आनेवाली पीढी को प्राप्त हो के विचार आने से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसांगिक संगठन विद्याभारती  से जुड़कर शिक्षाविद श्री गुरूचरण बग्गा,शिक्षाविद श्री रमेशचन्द्र चंद्रे मंदसौर के सहयोग से गांव में अर्चना शिक्षण समिति का गठन कर सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना की जहाँ आज विशाल भवन में हाईस्कूल तक छात्र राष्ट्र भक्ति के संस्कार प्राप्त कर रहे है।अपने सेवाकाल में किसी से बिना कोई अपेक्षा किये संघर्ष कर आनेवाली समस्याओं का अपने स्तर पर समाधान कर आदर्श स्वंयसेवक का उदाहरण प्रस्तुत किया है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्य करते समय श्री मिश्रीलाल कुमठ पिपल्यामंडी,पूर्व विधायक संघचालक श्री ओमप्रकाश पुरोहित मंदसौर,श्री किशनलाल दग्दी सिंगोली,वरिष्ठ अधिवक्ता श्री रामलाल पाटीदार,नीमच विधायक श्री दिलीपसिंह परिहार, श्री निवास तड़बा,श्री मूलचंद सारडा काकासा जावद, म.प्र.शिक्षक संघ के वरिष्ठ मार्गदर्शक श्री रामकृष्ण नवाल,प्रांतीय संगठन मंत्री श्री हिम्मतसिंह जैन,जगदीश पाटीदार दडोली,रमेश गोस्वामी मोरवन की आदर्श टोली में रहकर निशदिन संगठन को आगे बडाने का सराहनीय कार्य किया है।पारिवारिक कठिनाइयों एवं राजनैतिक विपरीत परिस्थितियों के बाद भी संघ के ध्यैय वाक्य मौन तपस्वी साधक बनकर चुपचाप जले को चरितार्थ कर बिना श्रेय लिए निशदिन मौन तपस्वी के रूप में क्षैत्र में सतत सम्पर्क व संगठन के लिए दौरे करते रहे।इस सेवायात्रा में सौभाग्य से माता श्री टाकूबाई का आशीष व धर्मपत्नी श्रीमती मंजूलता जैन की सेवा एवं आर्थिक अभावों के बाद भी अतिथियों के सत्कार में सदैव एक आदर्श गृहिणी के रूप में सहयोग किया है।श्री रोशनलाल जैन के दो पुत्र हैं,ज्येष्ठ पुत्र डॉ. अमितकुमार एमबीबीएस, डी.सी.पी.पैथोलॉजी होकर नीमच आरोग्यम चिकित्सालय संचालित करते है व छोटा पुत्र इंदौर में 3 डी एनिमेशन एवं वी एफ एक्स  डिग्री कर कल्याण ग्रुप में पार्टनरशिप के साथ कार्य करते है।श्री जैन दिनांक 31/05/24 को सेवानिवृत्त होकर दिनांक 02/06/24 को हजारों स्नेहिल बंधुओं की उपस्थिति में सेवानिवृत्ति समारोह को कुटुंब प्रबोधन दिवस के रूप में कृतज्ञता ज्ञापित कर मना रहे है।आयोजन में परिवार,रिश्तेदारों,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दायित्वान कार्यकर्ता एवं स्वंयसेवक म.प्र.शिक्षक संघ के राष्ट्रीय प्रादेशिक एवं जिला पदाधिकारी कार्यकर्ता क्षैत्र के शिक्षक साथी सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में राष्ट्रीय कवि संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करने वाले शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष,महामहिम राष्ट्रपतिजी, राज्यपाल महोदय से सम्मानित होने वाले श्री देवकिशन जी व्यास देवास का प्रेरणादायक पाथेय प्रदान कर अपने नूतन जीवन का शुभारंभ करने जा रहे है।इस पावन अवसर पर क्षैत्र की ओर से मेरे जैसे सैकड़ों कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन से जोडने वाले एक आदर्श स्वंयसेवक शिक्षक समाजसेवी कुशल संगठक श्री रोशनलाल जैन के कुशल भविष्य की मनोकामना करते हुए गौरवान्वित महसूस करता हूँ।
(प्रस्तुति - रमेश भारती गोस्वामी, मोरवन)

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