मिट्टी माफिया पर नहीं है प्रशासनिक लगाम
सिंगोली(माधवीराजे)।मिट्टी माफिया पर प्रशासनिक लगाम नहीं होने की वजह से सिंगोली क्षैत्र की सरकारी जमीनों को धड़ल्ले से छलनी किया जा रहा है और स्थानीय प्रशासन को एक मोटी रकम देकर सिंगोली क्षैत्र में मिट्टी माफिया इन दिनों सरकारी जमीनों को खोखला कर रहा है वहीं बन्दी लेकर प्रशासन ने भी अपनी आँखें बन्द कर ली है।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक किसान इन दिनों अपने खाली पड़े खेतों में मिट्टी डलवाने का काम कर रहे हैं लेकिन मिट्टी माफिया सरकारी जमीनों को निशाना बना कर उन्हें छलनी करने पर तुला हुआ है।प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण के चलते मिट्टी माफिया के हौंसले बुलंद हो रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप सिंगोली क्षैत्र के अलग अलग इलाकों में दिन-रात धड़ल्ले से जेसीबी मशीनों द्वारा शासकीय भूमि को खोखला किया जा रहा है और जमीनों पर बड़े बड़े गड्ढे बनाकर छोड़ दिये गए हैं जो आगामी दिनों में होने वाली बरसात के समय दुर्घटनाओं और परेशानियों का सबब बन जाएँगे।सूत्रों की मानें तो सिंगोली के आसपास ग्रामीण इलाकों में मिट्टी माफिया द्वारा बे रोक टोक सरकारी जमीनों को छलनी किया जा रहा है जबकि इसके लिए प्रशासन से विधिवत अनुमति लेनी पड़ती है लेकिन अंचल में किसी भी जेसीबी मशीन संचालक द्वारा मिट्टी खनन के लिए किसी तरह की कोई अनुमति नहीं ली गई है।नीमच जिले का खनिज विभाग तो पूरी तरह से मौन धारण किए हुए हैं लेकिन इसकी आड़ लेकर सिंगोली का स्थानीय प्रशासन मौज उड़ा रहा है क्योंकि प्रत्येक जेसीबी मशीन वाले से बन्दी के रूप में एक मोटी रकम जो मिल रही है।मिट्टी माफिया द्वारा सरकारी जमीनों पर किए जा रहे इस खेल में मौजा पटवारी से लेकर पूरा तहसील कार्यालय और स्थानीय पुलिस प्रशासन सन्देह के घेरे में हैं क्योंकि स्थानीय स्तर पर मोटी रकम की बन्दी यहीं इन्हीं कार्यालयों में पदस्थ और कार्यरत लोगों द्वारा वसूली जा रही है और इसके बदले में मिट्टी माफिया बिना किसी डर के सरकारी जमीनों को खोद खोद कर गड्ढों में तब्दील कर रहा है।सिंगोली क्षैत्र की पटियाल पंचायत हो या फूंसरियाँ,धनगाँव-थडोद पंचायत के साथ ही कछाला के अतिरिक्त कदवासा और झांतला के इलाकों में एक दर्जन से अधिक जेसीबी मशीनें इसी काम में लगी हुई है।सिंगोली जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर स्थित होकर राजस्थान बॉर्डर पर होने से जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की पहुँच इस क्षैत्र में न के बराबर है जिसका खुलकर फायदा उठाकर मोटी रकम वसूल करने वाले कर्मचारी-अधिकारी और मिट्टी माफिया की पौ बारह हो रही है इसलिए सार्वजनिक हित में जिला प्रशासन को संज्ञान लेकर मामले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि मिट्टी माफिया द्वारा सरकारी खुली जमीनों पर किए जा रहे बड़े बड़े गड्ढे बरसात के मौसम में जानलेवा साबित न हो सके।उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी मिट्टी माफिया अपनी दबंगई से स्थानीय प्रशासन से आमने सामने उलझ कर इन्हीं के लिए मुसीबत का सबब बन गया था फिर भी उस घटना से किसी ने सबक नहीं लिया क्योंकि तत्कालीन तहसीलदार और थाना प्रभारी दोनों ही यहाँ से स्थानांतरित हो गए हैं लेकिन छोटे कर्मचारी यहीं के यहीं पदस्थ हैं जो मासिक बन्दी के खेल में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।