राजस्वकर्मियों के मार्गदर्शन में ही चल रहा है शह और मात का खेल
सिंगोली(माधवीराजे)।सिंगोली में सरकारी जमीनों को अपनी बपौती समझने वाले लोगों से बने भू माफिया के दो गुटों की लड़ाई ने इन दिनों राजस्व विभाग को अपने वर्चस्व की लड़ाई का अखाड़ा बना दिया है जबकि इन दोनों ही गुटों से जुड़े लोग कुछ समय पहले तक मिलकर सरकारी जमीनों पर निगाहें टिका कर उन्हें दीमक की तरह चाट रहे थे लेकिन जैसे ही अपने अपने स्वार्थ क्या टकराए राजस्व महकमे को माध्यम बनाकर एक दूसरे को नुकसान पहुँचाने के लिए आये दिन एक दूसरे की शिकायत करने में तनिक भी देरी नहीं कर रहे हैं जो सिंगोली में चर्चा का विषय बनी हुई है और जिला मुख्यालय स्थित कलेक्टर कार्यालय में जिलाधिकारी द्वारा की जाने वाली जनसुनवाई में अपने अपने शिकायती पत्र सौंपकर निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए शासन-प्रशासन के समय को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं जबकि वास्तविकता यह है कि भू माफिया से जुड़े हुए दोनों ही गुटों की नीयत सरकारी जमीनों को लेकर बहुत खराब दिखाई दे रही है जिसके चलते आमजन और सार्वजनिक हित के कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं और इनकी शिकायतें प्रशासन के लिए गले की हड्डी साबित हो रही है लेकिन मजेदार बात तो यह भी सामने आ रही है कि भू माफिया के इन दोनों गुटों को लड़ाने और भिड़ाने का काम कोई और नहीं बल्कि राजस्व महकमे के कर्मचारियों द्वारा ही किया जा रहा है क्योंकि राजस्व महकमे के कर्मचारी भी अपने अपने वर्चस्व कायम रखने के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाने का खेल खेल रहे हैं परन्तु सच्चाई यह है कि यदि ईमानदारी से राजस्व रिकॉर्ड की जाँच की जाए तो चौंकाने वाले तथ्य उजागर हो सकते हैं क्योंकि सिंगोली कस्बे से सम्बंधित कस्बा पटवारी का प्रभार जिस किसी के भी पास रहा उन्होंने पिछले डेढ़ दशक में राजस्व रिकॉर्ड में अप्रत्याशित रूप से हेराफेरी किये जाने की चर्चाएं आमजन की जुबान पर हो रही है।इसमें किसी तरह का कोई शक नहीं है कि अभी तक जितने भी सिंगोली कस्बे के हल्के के पटवारी रहे हैं लगभग सभी ने भारतीय मुद्रा लेकर कायदे कानून से ऊपर उठकर ही अपने कारनामों को अंजाम दिया है और इसी कारण आये दिन जमीनों से सम्बंधित नित नए विवाद सामने आ रहे हैं वहीं कई जमीनी विवाद न्यायालय की चौखट तक पहुँच गए हैं।जानकर सूत्रों की मानें तो भू माफिया से जुड़े लोग ऐसी विवादित जमीनों पर अपनी गिद्ध दृष्टि रखते हैं जो राजस्व रिकॉर्ड के खाता-खसरे में तो दर्ज हैं लेकिन मौके पर जमीन ही उपलब्ध नहीं है और ऐसी विवादित जमीनों का पंजीयन करवाया जाकर फिर खेल शुरू होता है ब्लैकमेल करने का ताकि असल कब्जेदारों से मुँह माँगी वसूली की जा सके।सिंगोली कस्बे में अब तक ऐसे कई प्रकरण उजागर हो चुके हैं जो विवादास्पद घोषित होकर या तो राजस्व न्यायालयों में उलझकर रह गए हैं या दीवानी मामलों के रूप में न्यायालयीन प्रकरण बन गए हैं।इन परिस्थितियों में स्वार्थी तत्वों के कारण सभी का समय बर्बाद हो रहा है इसलिए जब तक राजस्व महकमे के दोषी लोगों पर गाज नहीं गिरेगी तब तक यह सिलसिला थमने वाला नहीं है क्योंकि राजस्वकर्मियों के मार्गदर्शन में ही भू माफिया के इन दोनों गुटों में शह और मात का खेल चल रहा है वहीं कलेक्टर द्वारा की जाने वाली जनसुनवाई में कलेक्टर द्वारा दोनों ही पक्षों की शिकायत पर जाँच के आदेश जारी कर दिए हैं तो अब अंततः सभी की निगाहें कलेक्टर के आदेश पर होने वाली जाँच पर टिकी हुई है।