सिंगोली(माधवीराजे)।सिंगोली नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पर विराजमान चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री संयतसागर जी महाराज के सानिध्य में 20 जुलाई शनिवार को भव्य चातुर्मास कलश स्थापना समारोह बड़े भक्ति भाव के साथ सम्पन्न हुआ।शनिवार को प्रातःकाल 6:30 बजे श्रीजी का अभिषेक व शान्तिधारा हुईं,8 बजे ध्वजारोहण कलाबाई,सुरभि मोहिवाल परिवार ने किया उसके बाद मंगलाचरण मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के परिवार द्वारा व श्रमण संस्कृति महिला मण्डल द्वारा संगीतमय नृत्य के साथ मंगलाचरण किया।चित्र अनावरण भगवतीलाल मोहिवाल व बाहर से पधारे हुए समाजजनों द्वारा किया गया उसके बाद आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज की संगीतमय पुजन हुई जिसमें बड़े भक्ति भाव के साथ महिला मण्डल,युवा वर्ग,पुरूष वर्ग व बाहर से पधारे हुए समाजजनों द्वारा झुमते नाचते हुए सभी ने पूजन की जिसके पश्चात अवसर आया चातुर्मास कलश स्थापना समारोह का जिसमें कलशों की बोली लगी जिससे प्रथम रत्नत्रय कलश लेने का सोभाग्य भामाशाह परिवार चांदमल-पुष्पेन्द्रकुमार, अखिलेशकुमार,धर्मेन्द्रकुमार बगड़ा परिवार को प्राप्त हुआ।सम्यक दर्शन कलश लेने का सोभाग्य कैलाशचन्द्र,सौरभकुमार,कुशा कुमार बगड़ा परिवार को प्राप्त हुआ।सम्यक ज्ञान कलश लेने का सोभाग्य भगवतीलाल,कैलाशचन्द्र मोहिवाल बोराव वाले परिवार को प्राप्त हुआ।सम्यक चरित्र कलश लेने का सोभाग्य राजू,प्रिंसकुमार, अक्षांशकुमार ठग परिवार को प्राप्त हुआ उसके बाद विज्ञान वधनि महिला मण्डल द्वारा संगीतमय नृत्य किया गया वहीं सभी कलश पुन्यार्जक परिवार व ध्वाजारोहणकर्ता परिवार का समाजजनों द्वारा तिलक,पगड़ी, शाल,माला पहनाकर स्वागत अभिनन्दन किया उसके बाद मुनिश्री का पाद प्रक्षालन करने का सोभाग्य मेवाड़ प्रान्त से पधारे हुए कमेटी व बाहर से पधारे हुए समाजजनों को मिला।मुनिश्री को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के परिवार को मिला इसके बाद मुनिश्री के मंगल प्रवचन हुए। प्रतिष्ठाचार्य बृजेश शास्त्री द्वारा कलश स्थापना की सम्पूर्ण क्रिया कराई गई जबकि संगीतमय मधुर भजनों की प्रस्तुति अभिषेक ठोला द्वारा दी गई।इस अवसर पर मेवाड़ प्रान्त के अध्यक्ष सुरेश पटवारी,चांदमल ठग,रमेश धानोत्या,महावीर चोधरी, भगवतीलाल मोहिवाल,सुरेन्द्र हरसोरा बोराव,धनगाँव,थडोद, झांतला,चांदजी की खेड़ी व अन्य नगरों व स्थानीय समाजजन उपस्थित थे।