सिंगोली(माधवीराजे)।भारतीय सनातन संस्कृति में पुरातन काल से ही गुरु को आदर-सम्मान देने की परंपरा रही है।गुरु को हमेशा से ही ब्रह्मा,विष्णु और महेश के समान पूज्य माना जाता है।आचार्य देवोभव: का स्पष्ट अनुदेश भारत की पुनीत परंपरा है।हमारे धार्मिक ग्रंथों में गुरु को भी भगवान की तरह सम्मानजनक स्थान दिया गया है। गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को यह विशेष पर्व मनाया जाता है।गुरु अपने आप में पूर्ण होते हैं।अत: पूर्णिमा को उनकी पूजा का विधान स्वाभाविक है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए शनिवार 20 जुलाई को शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल सिंगोली में गुरु पुर्णिमा उत्सव मनाया गया।नगर में चातुर्मास हेतु पुराने पुलिस थाने के पास स्थित रामद्वारा में विराजमान अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के धर्म गुरु 108 संत श्री चौकसमुनि जी का सानिध्य मिला स्कूल में जिनकी मौजूदगी में सम्पन्न हुआ गुरू पूर्णिमा उत्सव जिसमें सर्वप्रथम माँ सरस्वती की पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना की गई व उपस्थित शिक्षकों द्वारा धर्मगुरु श्री चौकसराम मुनि जी का बारी-बारी चरण स्पर्श कर आर्शिवाद लिया एवं छात्राओं द्वारा धर्मगुरु के साथ साथ सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं का सम्मान कर आर्शिवाद लिया।इस दौरान संत श्री ने अपने मुखारविंद से सभी को सनातन धर्म,संस्कार,संस्कृति को समझाते हुए गुरू उपदेश प्रदान किया। उपस्थित शिक्षकों द्वारा गुरू की जीवन में महत्ता पर प्रकाश डाला गया।इस अवसर पर सेवानिवृत्त अध्यापक गोविन्दकृष्ण शर्मा एवं मन्नालाल गंगवाल के साथ ही शंकरगिर रजनाती,लीलाधर स्वर्णकार,गिरधारीलाल वर्मा एवं स्कूल स्टाफ सदस्यगण सहित छात्राएँ उपस्थित थी।कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ अध्यापक कुंजबिहारी कारपेंटर ने किया।