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जाजू कॉलेज में गुरु पूर्णिमा पर हुआ आयोजन, हमारी सनातन संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि -विधायक परिहार

नीमच।भारत में गुरु-शिष्य परंपरा अति प्राचीन काल से चली आ रही है। गुरु ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।उक्त विचार नीमच  विधायक माननीय दिलीप सिंह परिहार ने श्री सीताराम जाजू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में ऋषि मुनियों एवं गुरु के सम्मान की विशिष्ट परंपरा है ।आज भारत की आध्यात्मिक संस्कृति की गूंज पूरे विश्व में फैल रही है। सरस्वती पूजन-अर्चन के पश्चात गुरु पूर्णिमा उत्सव को साकार करते हुए श्री परिहार ने सभी गुरुजनों के सम्मानार्थ सांकेतिक रूप से महाविद्यालय के मुखिया डॉ. एन के डबकरा को कुमकुम तिलक लगाकर साफा बांधा और सभी शिक्षकों को गुलाब-पुष्प भेंट किए। समारोह में महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष विजय बाफना ने महान गुरु वेद व्यास की जन्म जयंती पर आयोजित गुरु पूर्णिमा के अवसर पर समस्त गुरुओं को प्रणाम करते हुए कहा कि शिष्य गिली मिट्टी के समान होते हैं जिसे गुरु द्वारा तराशकर एक अच्छे इंसान का आकार दिया जाता है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एन के डबकरा ने प्रथम गुरु मां की शिक्षा को याद करते हुए जीवन में शिक्षा देने वाले सभी गुरुओं को प्रणाम करते हुए कहा कि गुरु शिष्य का रिश्ता निस्वार्थ होता है। सही गुरु के मार्गदर्शन में सन्मार्ग पर चलना सीखें। सकारात्मक सोच के साथ परिश्रम करें तो शिष्य निरंतर प्रगति करते रहते हैं। महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ श्रीमती मीना हरित ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि गुरु के स्वरूप में समय के साथ निश्चित रूप से बदलाव आया है,लेकिन गुरु श्रेष्ठ शिष्य को पहचान लेते हैं। योग्य शिष्य को आगे बढ़ाने हेतु आज भी सतत् प्रयासरत रहते हैं। वेद व्यास, द्रोणाचार्य, स्वामी विवेकानंद आदि की परंपरा को याद करते हुए कहा कि भारत की सनातन संस्कृति को आगे भी मजबूती से चलना चाहिए। महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. आर के पेंसिया ने गुरु पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा कि गुरु अज्ञान के अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की और ले जाने वाला होता है। उन्होंने महाविद्यालय का विजन प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यहां के  गुरुजनों और शिष्यों के कार्यों का उल्लेख किया।वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. पी सी रांका ने स्वरचित कविता पाठ करते हुए गुरुजनों को नमन किया और कहा कि गुरु होता है सबसे महान, जो देता है सबको ज्ञान। आओ इस गुरु पूर्णिमा पर, करें अपने गुरुओं को प्रणाम।"कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं ने सभी गुरुओं को माला पहनाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।कार्यक्रम का सफल संचालन महाविद्यालय की छात्रा कु. रोहिणी  मालवीय ने किया और कार्यक्रम संयोजक डॉ. बीना चौधरी ने इस आध्यात्मिक सुअवसर पर अपने गुरुजनों को नमन करते हुए उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया।

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