गुरुपूर्णिमा के अवसर पर जैन उपाश्रय में गुरुभगवंतों की वाणी का बरसा रस
मनासा। प्रत्येक धर्म में गुरु के महत्व को स्वीकारा गया है।देव,गुरु और धर्म ये जीवन के उत्थान का त्रिवेणी संगम है..इन तीनों का जीवन मे बहुत महत्व है।गुरु परमात्मा का पोस्टमेन है। सोई हुई आत्मा को जगाना और परमात्म वाणी को जन-जन तक पहुंचाना गुरु का काम है।उक्त विचार गुरुपूर्णिमा के अवसर पर जैन उपाश्रय में चल रही व्याख्यान माला में प्रवचन प्रभाविका परम् पूज्या सौम्ययशा श्रीजी मा.सा. ने व्यक्त किये। आपने गुरुपूर्णिमा के महत्व को रेखांकित करते हुए जीवन में गुरु की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। जिस प्रकार एक दीपक अंधकार को मिटाता है उसी प्रकार गुरु अज्ञानता रूपी अंधकार को हमारे जीवन से दूर करता है। भूले -भटके को राह दिखाना एवं हमारे अंतर्मन में स्थापित राग-द्वेष की अग्नि को ठंडा करने का दायित्व गुरु का है। एकलव्य ने अपनी गुरुभक्ति से इतिहास बनाया है इसलिए गुरु से ज्ञान विनयपूर्वक ही ग्रहण किया जा सकता है।