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मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर जाजू कॉलेज में  विशेष व्याख्यान का हुवा आयोजन

नीमच। श्री सीता राम जाजू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय नीमच  में आज दिनांक 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के उद्धरणों को याद कर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कृति संस्था एवं महाविद्यालय के कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ देवी सरस्वती एवं मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन एवं मधुर सरस्वती वंदना से हुआ है। तत्पश्चात् कृति संस्था के अध्यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गोड  एवं  भरत जाजू द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एन. के. डबकरा का स्वागत किया गया ।स्वागत की श्रृंखला में व्याख्यान के विशिष्ट अतिथि विजय बैरागी का स्वागत कृति संस्था के सचिव महेंद्र त्रिवेदी ,डॉ बीना चौधरी का स्वागत श्रीमति आशा साम्भर एवं श्रीमती रेणुका  द्वारा किया । सभी सम्माननीय मंचासीन अतिथियों के स्वागत उपरांत कृति साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्था नीमच के अध्यक्ष गोड द्वारा स्वागत उद्बोधन में मुंशी प्रेमचंद के संक्षिप्त जीवन परिचय के साथ मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं और उनके द्वारा उस समय के समाज में घटित हो रही विभिन्न घटनाओं,सामाजिक परिवेश और समाज के दलित वर्ग की स्थिति और समस्या से उबरने के लिए  एक निम्न मध्यम वर्ग के व्यक्ति की छटपटाहट को शब्दों के रूप में अभिव्यक्त करने की कला का वर्णन किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विजय बैरागी ने अपने उद्बोधन में मुंशी प्रेमचंद के द्वारा अति पिछड़े परिवार एवं गाँव में जन्म लेने के बावजूद कम संसाधनों में सादा जीवन उच्च विचार की कल्पना के साथ-साथ समाज में एक आदर्श प्रस्तुत किया।आपने जो कहा उसे आपने स्वयं अपने जीवन में लागू किया ।मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ग़बन ,निर्मला, ईदगाह उस समय की सामाजिक पृष्ठभूमि और एक व्यक्ति के अंदर चल रही उठापटक को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। आज हमें प्रेमचंद जी के जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई को समझने की कोशिश करना चाहिए। किशोर जवेरिया ने भी युवा पीढ़ी को प्रेमचंद द्वारा रचित हिंदी और उर्दू साहित्य को पढ़ने और उनके द्वारा अभिव्यक्त की गई संवेदनाओं को समझने की  अपील की। इसी क्रम में महाविद्यालय की वरिष्ठ हिन्दी विषय के प्राध्यापक डॉ.बीना चौधरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेमचंद के साहित्य को जनजीवन से जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रेमचंद ने जनता की पीड़ा को समझा  ओर उसकी तरफ सभी का ध्यान आकृष्ट किया, उन्होंने अपने उपदेशों को स्वयं जीवन में जीया एवं बाल विधवाओं के लिए आवाज़ उठायी । जो प्राप्त है बहुत ही पर्याप्त है, और संगठन की शक्ति पर ज़ोर दिया । आप ने कहा प्रेमचंद ने ही किसान विमर्श दिया है , किसान का सर्वप्रथम सम्मान होना चाहिए। प्रेमचंद्र आज भी प्रासंगिक हैं। महाविद्यालय की छात्रा रोहिणी मालवीय ने भी प्रेमचंद जी के जीवन की विशेषताओं का वर्णन किया । महाविद्यालय के  प्राचार्य डॉ. एन. के.डबकरा ने प्रेमचंद जी की कहानियों पर प्रकाश डालते हुए कहा प्रेमचंद जी के साहित्य को समझ कर चिंतन करने की आवश्यकता है। प्रगति के साथ नैतिक पतन हो रहा है वह चिंतनीय है युवाओं को प्रेमचंद के साहित्य पर मंथन करना चाहिए,उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए । कार्यक्रम का संचालन करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. रश्मि हरित एवं  डॉ. महेन्द्र राव द्वारा किया गया एवं आभार महेन्द्र त्रिवेदी द्वारा  दिया गया । इस अवसर पर कृति संस्था परिवार ,महाविद्यालय परिवार एवं छात्राएँ उपस्थित रहीं।

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