डोल निकालकर मुनि श्री को दी अंतिम विदाई
सिंगोली।गत दिनों ग्राम झांतला से विहार कर सिंगोली पधारे परम पूज्य आचार्य श्री 108 सन्मतिसागर जी महाराज के सुशिष्य एवं निर्यापक श्रमण मुनि श्री विधासागर जी महाराज के संघस्थ मुनि श्री 108 शांतिसागर जी महाराज ने 20 जनवरी गुरुवार रात 11-45 बजे सिंगोली स्थित दिगंबर समाज के विधासागर संत निलय में नियमसलेखना पूर्वक समाधि लेकर अपनी देह का त्याग कर दिया।मिली जानकारी के अनुसार मुनि श्री के देह त्यागने के समाचार मिलते ही समाज एवं नगरवासियों में शोक व्याप्त हो गया।मुनि श्री शांतिसागर जी महाराज मूलतः महाराष्ट्र के समडोली जिला सांगली के रहने वाले थे और 2 अप्रैल 2010 को महाराष्ट्र के म्हैसाल जिला सांगली मे एलक दीक्षा ग्रहण की तथा निरन्तर संत जीवन में रहते हुए धर्म की अराधना करते रहे और उसी वर्ष अर्थात 2 दिसंबर 2010 को परम पूज्य शांतमूर्ति वात्सल्य रत्नाकर आचार्य भगवंत श्री 108 सन्मतिसागर जी महाराज के सानिध्य में मुनि दीक्षा ग्रहण की एवं लगातार धर्म की ध्वजा फहराते हुए कठोर तप के साथ मुनि जीवन पूर्ण किया।सिंगोली नगर के परम सौभाग्य से गत दिनों तीन पिच्छी संत मंडल का सिंगोली पदार्पण हुआ जिसके चलते नगर में प्रतिदिन धर्म की गंगा बह रही थी वहीं गुरुवार की रात मुनि संघ के संत श्री 108 शांतिसागर जी महाराज का स्वास्थ्य बिगड़ा और अचानक रात लगभग 11.45 बजे नियमसलेखना पूर्वक समाधि लेकर सांसारिक देह को त्याग दिया।मुनिश्री की अंतिम दर्शन यात्रा डोल ( बेवाण ) के रूप में शुक्रवार सुबह 10 बजे स्थानीय विद्यासागर संत निलय से निकली जो पुरानी सब्जी मंडी,विवेकानंद बाजार,पुराना बस स्टैंड,तिलस्वां चौराहा,पेट्रोल पंप चौराहा होते हुए एस्सार पेट्रोल पंप नीमच रोड़ पहुँची जहाँ बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं ने जयकारों के साथ विधी विधान के अनुसार मुनि श्री को अंतिम विदाई दी। मुनि श्री के अंतिम दर्शन हेतु सिंगोली के साथ ही रावतभाटा, भैसरोड़गढ, बोराव, बिजोलियाँ, सलावटिया, बेगूँ, ठुकराई, थड़ौद, धनगांव, झांतला, चेची, कांकरियातलाई, भीलवाडा, कोटा सहित अनेक स्थानों के श्रावक श्राविकाओं के अलावा नगर के नागरिक भी सम्मिलित हुए।