सिंगोली के जैन मंदिर में हो रही है पर्युषण पर्व की आराधना
सिंगोली(माधवीराजे)।श्री सिंगोली मंडन पार्श्वनाथ दादा की छत्रछाया में जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्री संघ सिंगोली में पर्युषण पर्व की आराधना बड़े ही धूमधाम से चल रही है।प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।श्रीसंघ में आराधना करवाने के लिए वर्धमान स्वाध्याय मंडल के अंशुल मेहता,अर्पित बरडिया, अर्हम जैन पधारे है।उन्होंने पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिवस मंगलवार को प्रवचन में कहा कि कल्पसूत्र आगम का ग्रंथ है।कल्पसूत्र वाचन के श्रवण से मन को शांति का अनुभव होता है।लौकिक या अलौकिक दोनों जगत कल्पसूत्र के वाचन से एक हो जाते हैं।कल्पसूत्र वाचन के शब्द सुनकर मन,प्राण,चेतना और मानस से अमृत रस निर्झर बहने लगता है।मन की सारी चिंताएं और चंचलताएं कुछ पलों के लिए ठहर जाती हैं।ऐसा ईशवरीय वरदान कल्पसुत्र को प्राप्त होता है।कल्पसूत्र वाचन न केवल आगम ग्रंथ है बल्कि यह साधना है जो साधक को अपने साध्य से मिलाने का काम करती है।यह बात स्वाध्यायी भाइयों ने कही।वे जैन मंदिर में प्रवचन के दौरान बोल रहे थे।उन्होंने कहा कि कल्पसूत्र के शब्दों में धर्म अध्यात्म बोलता है जो मन के गुणों,अवगुणों को तौलता है और अवगुणों से मुक्ति का द्वार खोलता है।कल्पसूत्र के प्रति प्रेम ही भक्ति का सृजन करता है। कल्पसूत्र में ह्दय को शांत करने का जादू होता है।उन्होंने कहा कि लगातार 21 बार कल्पसूत्र वाचन का श्रवण करने से आठ वे भव में मोक्ष हो जाता है।कल्पसूत्र के एक एक अक्षर मंत्राक्ष हैं।जैन धर्म में कल्पसूत्र पवित्र आगम हैं इसमें चोबीस तीर्थंकरों के जीवन का वृत्तान्त बताया गया है।साधु-साध्वी श्रावक श्राविका के आचार का वर्णन किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि व्यक्ति अपने कुल,सम्पत्ति,बल,गौत्र का अभिमान नहीं करना चाहिए यदि वह ऐसा करता है तो उसे ये चीज अगले भव में प्राप्त नहीं होती है और होती भी है तो बहुत अल्प होती है वहीं लाभार्थियों द्वारा स्वाध्यायी भाइयों को कल्पसूत्र वोहराया गया एवं पांच ज्ञान की पूजा भी की गई।सांय को प्रभु की आरती व भक्ति हुई उसके साथ ही आओ भक्ति में रंग बरसाओ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया।स्वाधायी ने जानकारी देते बताया कि पर्युषण महापर्व के दरमियान बुधवार दोपहर में प्रभु महावीर स्वामी का जन्मवाचन महोत्सव धूमधाम से सकल श्री संघ की उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा जिसमें विभन्न चढ़ावे भी बोले जाएंगे।