कुकड़ेश्वर --जिनवाणी के सहारे अनंत आत्माएं सास्वत सुख को प्राप्त कर रही और वर्तमान में भी जिनवाणी के माध्यम से अनेक आत्माएं सास्वत सुख को प्राप्त करेगी आज जीव दुखी क्यों जो भी कष्ट पीड़ा तकलीफ भुगत रहे वो हमारे छः काय जीवो की जाने अनजाने हिंसा के कारण इस परिणाम स्वरूप हम दुखो का सामना कर रहे हैं। कहा गया की""सुख दिया सुख होय दुख दिया दुख होय,, यदि हमें सुख चाहिए तो सभी को सुख दो आज हम खाली समय में भी अनर्थ का पाप कर बैठते मोबाइल का युग है फुर्सत में बैठे और बटन दबाया लेकिन मोबाइल के कारण कितने अग्निकाय जीवो की हिंसा कर रहे हैं । उक्त बात जैन स्थानक भवन में नियमित प्रवचनो के अंतर्गत प पू श्री कमलावती जी मा सा ने धर्म सभा में बताया कि अर्थ का पाप तो हो जाता है अनर्थ का पाप भारी है भगवान की वाणी को हम अमल में नहीं ला रहे हैं आत्मा को शुद्ध करना है तो शरीर को तपाना होगा हमें समय मात्र का प्रमाद नहीं कर साधना आराधना में लगाना चाहिए आज हर आदमी ऐश्वर्य सुख सुविधा गाड़ी बंगला मकान चाहता है ।इसके लिए हम रात दिन आरंभ परिग्रह कर रहे संसार में धन संपत्ति को अपना मान रहे लेकिन एक दिन सबको इसे छोड़ कर जाना होगा आत्मा अजर अमर अविनाशी है। हमें पर के लिए नहीं स्वयं के लिए समय निकालना होगा तभी आत्मा का कल्याण होगा।